रूस का Su-57, जिसे दुनिया भर में स्टील्थ फाइटर जेट के तौर पर जाना जाता है, आजकल काफी चर्चा में है। इसे रूस की सुखोई कंपनी ने बनाया है, और इसका नाम सुनते ही एक सवाल मन में उठता है—ये 57 क्यों? यही सवाल अमेरिका के F-22 रैप्टर और F-35 लाइटनिंग II के नामों को लेकर भी उठता है कि आखिर इनके नाम में 22 और 35 का क्या मतलब है? क्या ये नंबर बस यूं ही चुने गए हैं, या इनके पीछे कोई खास कहानी है? चलिए, इस सवाल का जवाब ढूंढते हैं और एकदम देसी अंदाज में इसकी तह तक जाते हैं।
# रूस के स्टील्थ फाइटर Su-57 और F-22, F-35 के नामकरण की कहानी
Su-57: नाम के पीछे की कहानी
सबसे पहले बात करते हैं रूस के Su-57 की। Su का मतलब तो साफ है—ये सुखोई डिज़ाइन ब्यूरो से आता है, जो रूस की मशहूर कंपनी है और दशकों से फाइटर जेट्स बना रही है। लेकिन 57 का क्या चक्कर है? कई लोग सोचते हैं कि ये कोई रैंडम नंबर है, लेकिन ऐसा नहीं है। रूस में सैन्य विमानों के नामकरण की एक पुरानी परंपरा है, और सुखोई के जेट्स के नाम अक्सर उनके डिज़ाइन कोड या प्रोजेक्ट नंबर से जुड़े होते हैं।
Su-57 को पहले T-50 के नाम से जाना जाता था, जो इसका प्रोटोटाइप कोड था। T-50 का मतलब था “टेस्ट-50”, क्योंकि ये सुखोई के PAK FA (Perspektivny Aviatsionny Kompleks Frontovoy Aviatsii) प्रोग्राम का हिस्सा था, जिसका मकसद था रूस का पहला पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर बनाना। लेकिन जब ये जेट प्रोडक्शन में गया, तो इसे आधिकारिक तौर पर Su-57 नाम दिया गया।
अब 57 का राज़ क्या है? दरअसल, सुखोई की परंपरा में जेट्स के नाम अक्सर ऑड नंबर (विषम संख्या) जैसे 27, 35, 47, और अब 57 से रखे जाते हैं। ये नंबर आमतौर पर डिज़ाइन ब्यूरो के इंटरनल प्रोजेक्ट कोड से आते हैं। कुछ जानकारों का मानना है कि 57 इसलिए चुना गया क्योंकि ये सुखोई के पिछले मॉडल्स जैसे Su-27 और Su-47 से आगे की कड़ी को दिखाता है। Su-27 1970 के दशक का फाइटर था, और Su-47 एक प्रायोगिक जेट था। 57 इस सीक्वेंस में एक तार्किक अगला कदम है।
दूसरी थ्योरी ये है कि 57 रूस की सैन्य परंपरा में एक तरह का सांकेतिक नंबर हो सकता है, जो इस जेट की अत्याधुनिक तकनीक और भविष्य की लड़ाई के लिए तैयार होने का प्रतीक है। हालांकि, रूस ने कभी आधिकारिक तौर पर ये नहीं बताया कि 57 क्यों चुना गया। कुछ लोग ये भी कहते हैं कि ये नंबर बस इसलिए रखा गया ताकि ये जेट अमेरिका के F-22 और F-35 से अलग और अनोखा लगे।
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F-22 और F-35: अमेरिका का नामकरण तंत्र
अब बात करते हैं अमेरिका के F-22 रैप्टर और F-35 लाइटनिंग II की। ये दोनों जेट्स लॉकहीड मार्टिन ने बनाए हैं, और इनके नाम में भी नंबर का इस्तेमाल हुआ है। लेकिन क्या ये नंबर रूस की तरह किसी सीक्वेंस का हिस्सा हैं? चलिए देखते हैं।
अमेरिका में फाइटर जेट्स के नामकरण की एक व्यवस्थित प्रणाली है, जो यूएस डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस (DoD) के तहत काम करती है। यहां F का मतलब है “Fighter” यानी लड़ाकू विमान। इसके बाद का नंबर उस जेट के डिज़ाइन या प्रोजेक्ट नंबर को दर्शाता है। लेकिन ये नंबर हमेशा सीधे-सीधे सीक्वेंस में नहीं होते।
F-22 रैप्टर:
F-22 का नामकरण यूएस एयर फोर्स के YF-22 प्रोटोटाइप से आता है। 1980 के दशक में अमेरिका ने Advanced Tactical Fighter (ATF) प्रोग्राम शुरू किया था, जिसका मकसद था एक ऐसा फाइटर जेट बनाना जो सोवियत यूनियन के नए जेट्स को टक्कर दे सके। इस प्रोग्राम में लॉकहीड मार्टिन का YF-22 और नॉर्थरोप का YF-23 प्रोटोटाइप्स टेस्ट किए गए। YF-22 जीता, और इसे प्रोडक्शन में F-22 नाम दिया गया।
लेकिन 22 का क्या मतलब? ये नंबर ATF प्रोग्राम के तहत चुना गया एक डिज़ाइन कोड था। अमेरिका में फाइटर जेट्स की नंबरिंग 1940 के दशक से शुरू हुई थी, जैसे F-4, F-15, F-16, वगैरह। F-22 इस सीक्वेंस का हिस्सा है, लेकिन ये जरूरी नहीं कि ये नंबर पिछले जेट्स से सीधे जुड़ा हो। कुछ लोग कहते हैं कि 22 इसलिए चुना गया क्योंकि ये एक नई सदी के लिए एक नया जेट था, जो पुराने F-15 और F-16 से कहीं आगे था।[](https://goodvibesonly.cloud/ladaku-vimanon-ki-duniya-itihas-takneek-shakti/)
F-35 लाइटनिंग II
F-35 का नामकरण भी कुछ ऐसा ही है। ये जेट Joint Strike Fighter (JSF) प्रोग्राम का हिस्सा था, जिसे 1990 के दशक में शुरू किया गया था। इस प्रोग्राम में कई देशों ने मिलकर एक ऐसा फाइटर बनाया जो नेवी, एयर फोर्स और मरीन्स, सबके लिए काम कर सके। लॉकहीड मार्टिन का X-35 प्रोटोटाइप इस प्रोग्राम में जीता, और इसे F-35 नाम दिया गया।
35 का मतलब भी प्रोजेक्ट कोड से जुड़ा है। X-35 इसका टेस्टिंग कोड था, और प्रोडक्शन में इसे F-35 कहा गया। लेकिन मजेदार बात ये है कि F-35 का नाम “लाइटनिंग II” भी है, जो 1940 के दशक के P-38 लाइटनिंग फाइटर के सम्मान में रखा गया। 35 नंबर बस एक तार्किक अगला कदम था, जो F-22 के बाद आया।
नंबरों का महत्व: क्या ये सिर्फ कोड हैं?
अब सवाल ये है कि क्या Su-57, F-22, और F-35 के नंबरों का कोई गहरा मतलब है? सच्चाई ये है कि ये नंबर ज्यादातर प्रोजेक्ट कोड्स से आते हैं, जो डिज़ाइन ब्यूरो या सैन्य संस्थानों द्वारा तय किए जाते हैं। लेकिन इन नंबरों का एक प्रतीकात्मक महत्व भी हो सकता है।
उदाहरण के लिए, कुछ लोग कहते हैं कि रूस ने Su-57 का नाम इसलिए रखा क्योंकि 57 नंबर F-22 (22) और F-35 (35) को मिलाकर बनता है, यानी 22 + 35 = 57। ये एक मजेदार थ्योरी है, जो ये सुझाती है कि रूस अपने जेट को अमेरिका के दोनों जेट्स से बेहतर दिखाना चाहता था। हालांकि, ये बात ज्यादा विश्वसनीय नहीं है, क्योंकि सुखोई के नामकरण की परंपरा इससे पहले की है।
फिर भी, इन नंबरों का एक मार्केटिंग पहलू भी है। 57, 22, या 35 जैसे नंबर जेट्स को एक खास पहचान देते हैं। ये नंबर दुनिया भर के सैन्य विशेषज्ञों और विमानन प्रेमियों के लिए एक ब्रांड की तरह काम करते हैं। जैसे ही आप Su-57 कहते हैं, लोग समझ जाते हैं कि ये रूस का सबसे नया और सबसे खतरनाक फाइटर जेट है।
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तकनीकी तुलना: Su-57 बनाम F-22 और F-35
नाम तो ठीक है, लेकिन इन जेट्स की असली ताकत उनकी तकनीक में है। Su-57 को रूस ने स्टील्थ, सुपरमैन्यूवरेबिलिटी, और लंबी दूरी की मारक क्षमता के लिए बनाया है। लेकिन कई विशेषज्ञ कहते हैं कि इसका स्टील्थ F-35 जितना अच्छा नहीं है। F-35 का स्टील्थ डिज़ाइन ऑल-एस्पेक्ट है, यानी ये हर कोण से रडार में कम दिखता है। वहीं, Su-57 का स्टील्थ ज्यादा फ्रंट-एस्पेक्ट है, यानी सामने से ये रडार में कम दिखता है, लेकिन बाकी कोणों से उतना प्रभावी नहीं।[](https://www.youtube.com/watch?v=QeBzkB2YoyM)
F-22 की बात करें तो ये आज भी दुनिया का सबसे उन्नत फाइटर माना जाता है, खासकर डॉगफाइट में। इसका डिज़ाइन और रडार-एब्ज़ॉर्बिंग मैटेरियल इसे लगभग “अदृश्य” बनाते हैं। लेकिन F-22 सिर्फ यूएस एयर फोर्स के लिए है, इसे निर्यात नहीं किया जाता। वहीं, F-35 एक मल्टी-रोल फाइटर है, जो हवा से हवा और हवा से ज़मीन, दोनों तरह की लड़ाई के लिए बनाया गया है।
नाम और नंबर की दुनिया
Su-57, F-22, और F-35 के नाम और नंबर उनके डिज़ाइन कोड्स, सैन्य परंपराओं, और कभी-कभी मार्केटिंग रणनीति का हिस्सा हैं। 57, 22, और 35 जैसे नंबर भले ही प्रोजेक्ट कोड्स से शुरू हुए हों, लेकिन आज ये दुनिया के सबसे खतरनाक फाइटर जेट्स की पहचान बन चुके हैं। रूस का Su-57 अपने दमदार इंजन और मिसाइल सिस्टम के लिए जाना जाता है, जबकि F-22 और F-35 अपने स्टील्थ और सेंसर फ्यूजन के लिए मशहूर हैं।
अगली बार जब आप इन जेट्स का नाम सुनें, तो याद रखें—ये नंबर सिर्फ नंबर नहीं, बल्कि एक तकनीकी और सैन्य विरासत का प्रतीक हैं। और हां, अगर कोई पूछे कि 57 का क्या मतलब है, तो आप कह सकते हैं, “भाई, ये रूस का स्टाइल है—57 मतलब दुनिया को चौंकाने की ताकत !”
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