भारत ने अपनी रक्षा तकनीक को और मजबूत करते हुए आर्मेनिया को स्वदेशी क्वासी बैलिस्टिक ‘प्रलय’ मिसाइल की आपूर्ति करने का बड़ा कदम उठाया है।
भारत की रक्षा प्रणाली में लगातार हो रहे सुधारों और उन्नत तकनीकों की बदौलत, दुनिया के विभिन्न देशों के साथ रक्षा सहयोग बढ़ रहा है। इसी कड़ी में भारत ने आर्मेनिया को अपने स्वदेशी क्वासी बैलिस्टिक ‘प्रलय मिसाइल, की आपूर्ति कर सकती है। यह न केवल भारत के लिए, बल्कि आर्मेनिया के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम है। आर्मेनिया को ‘प्रलय’ मिसाइल की आपूर्ति से उसकी सैन्य क्षमता में बड़ा इजाफा होगा। आइए विस्तार से जानें कि प्रलय मिसाइल क्या है, इसे क्वासी बैलिस्टिक क्यों कहा जाता है, और यह अन्य मिसाइलों से कैसे अलग है। भारत इससे पहले आर्मेनिया को पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम आपुर्ति कर चुका है .
जानिए कैसे यह मिसाइल आर्मेनिया की सैन्य क्षमता को बढ़ाएगी और यह अन्य मिसाइलों से कैसे अलग है।
‘प्रलय’ मिसाइल: भारत की नई ताकत
प्रलय मिसाइल भारत में स्वदेशी रूप से विकसित की गई एक अत्याधुनिक क्वासी बैलिस्टिक मिसाइल है। इसकी खासियत इसकी गति और लक्ष्य तक पहुंचने की क्षमता है। पर्ले मिसाइल की लंबाई लगभग 7.32 मीटर और वजन करीब 4.6 टन है। यह मिसाइल 1.5 टन के विस्फोटक ले जाने में सक्षम है और इसका रेंज 150-500 किमी के बीच है, जो इसे छोटी और मध्यम दूरी के लक्ष्यों को ध्वस्त करने के लिए एक आदर्श हथियार बनाता है। ‘पर्ले’ मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत इसकी गाइडेंस सिस्टम और उच्च सटीकता है, जो इसे दुश्मन के ठिकानों पर बिल्कुल सटीक हमला करने में सक्षम बनाती है।
प्रलय मिसाइल को क्वासी बैलिस्टिक क्यों कहा जाता है?
अब सवाल आता है कि ‘प्रलय’ मिसाइल को क्वासी बैलिस्टिक मिसाइल क्यों कहा जाता है? बैलिस्टिक मिसाइलें सामान्यतः अपने शुरुआती चरण में वायुमंडल से बाहर जाकर फिर गुरुत्वाकर्षण के कारण अपने लक्ष्य की ओर गिरती हैं। लेकिन ‘प्रलय’ मिसाइल की विशेषता यह है कि यह पूरी तरह से बैलिस्टिक पथ का अनुसरण नहीं करती। इसकी गति और उड़ान पथ में कुछ बदलाव होते हैं, जिससे यह पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलों से अलग हो जाती है। इसे “क्वासी बैलिस्टिक” इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह अपने पथ में आंशिक रूप से बैलिस्टिक और आंशिक रूप से गाइडेड होती है, जिससे इसका ट्रैकिंग और इंटरसेप्शन करना मुश्किल हो जाता है।
अन्य मिसाइलों से कैसे अलग है प्रलय?
‘प्रलय’ मिसाइल की तुलना अगर अन्य मिसाइलों से की जाए, तो यह कई मायनों में बेहतर है। इसकी क्वासी बैलिस्टिक क्षमता इसे पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलों से अलग बनाती है। पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलें सीधी लाइन में यात्रा करती हैं, जबकि प्रलय मिसाइल अपने पथ में बदलाव कर सकती है, जिससे इसे ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा, प्रलय मिसाइल की गति और सटीकता इसे दुश्मन के रडार से छुपने और अचानक हमला करने में सक्षम बनाती है।
दूसरी ओर, अन्य मिसाइलें, जैसे कि क्रूज मिसाइलें, ज्यादातर धरातल के समानांतर उड़ान भरती हैं और उनके पास कम गति होती है। ‘प्रलय’ मिसाइल अपनी उच्च गति, गाइडेड तकनीक और विस्फोटक क्षमता के कारण इन मिसाइलों से अलग और अधिक घातक है।
आर्मेनिया के लिए क्यों महत्वपूर्ण है ‘प्रलय’ मिसाइल?
भारत द्वारा आर्मेनिया को प्रलय मिसाइल की आपूर्ति करना, आर्मेनिया की सैन्य शक्ति को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। आर्मेनिया को अपने पड़ोसी देशों के साथ जारी सीमा विवाद और संघर्षों के चलते एक मजबूत रक्षा प्रणाली की आवश्यकता है। प्रलय मिसाइल आर्मेनिया के सैन्य बल को एक नई दिशा देगी, जिससे वह अपने दुश्मनों से अधिक प्रभावी ढंग से निपट सकेगा।
प्रलय मिसाइल की खासियत यह है कि इसे तेजी से तैनात किया जा सकता है, और इसकी गति और सटीकता इसे दुश्मन के ठिकानों पर निर्णायक हमले के लिए उपयुक्त बनाती है। आर्मेनिया के लिए यह मिसाइल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके पास अपने पड़ोसी देशों के साथ संघर्ष की स्थिति में एक मजबूत प्रतिरोधक क्षमता नहीं थी।
भारत की रक्षा क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि
प्रलय मिसाइल की सफलता भारत की रक्षा प्रणाली में एक मील का पत्थर है। इसका विकास डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन) द्वारा किया गया है, जो भारत की रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सबसे अग्रणी संगठन है। प्रलय मिसाइल का विकास और अब उसकी निर्यात क्षमता यह साबित करती है कि भारत अब केवल अपनी सुरक्षा पर निर्भर नहीं है, बल्कि वह अपने रक्षा उत्पादों को विश्व के अन्य देशों को भी निर्यात कर रहा है।
प्रलय की तुलना अन्य क्वासी बैलिस्टिक मिसाइलों से
अगर दुनिया की अन्य क्वासी बैलिस्टिक मिसाइलों से प्रलय मिसाइल, क्वासी बैलिस्टिक, आर्मेनिया, भारत, स्वदेशी मिसाइल, रक्षा प्रणाली, डीआरडीओ की तुलना करें, तो यह कहीं अधिक उन्नत तकनीकों का उपयोग करती है। उदाहरण के लिए, रूस की ‘इस्कंदर’ मिसाइल या चीन की ‘डीएफ-15’ क्वासी बैलिस्टिक मिसाइलों की तुलना में प्रलय मिसाइल का गाइडेंस सिस्टम और सटीकता कहीं अधिक उन्नत है।
प्रलय मिसाइल का इंटरसेप्ट रडार और एंटी-रडार तकनीक इसे दुश्मन के रडार से छुपाने में सक्षम बनाती है, जो इसे अन्य मिसाइलों की तुलना में अधिक घातक और प्रभावी बनाती है।
प्रलय मिसाइल का भविष्य
आने वाले वर्षों में, प्रलय मिसाइल भारत की सैन्य शक्ति में महत्वपूर्ण योगदान देगी। इसके सफल परीक्षण और आर्मेनिया को आपूर्ति के बाद, यह संभव है कि अन्य देश भी इस मिसाइल में रुचि दिखाएं। इससे भारत के रक्षा निर्यात में बढ़ोतरी होगी और भारत की वैश्विक शक्ति में भी इजाफा होगा।
निष्कर्ष
भारत का आर्मेनिया को प्रलय मिसाइल की आपूर्ति करने का निर्णय एक बड़ा कदम है, जो भारत की रक्षा तकनीकों और उसकी वैश्विक उपस्थिति को और मजबूत करेगा। प्रलय मिसाइल की क्वासी बैलिस्टिक क्षमता, उसकी सटीकता और तेज गति इसे अन्य मिसाइलों से अलग बनाती है। इस कदम से आर्मेनिया की रक्षा प्रणाली को मजबूती मिलेगी और भारत की वैश्विक रक्षा निर्यात की महत्वाकांक्षाओं को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
प्रलय मिसाइल अब केवल भारत की सुरक्षा का आधार नहीं है, बल्कि यह वैश्विक बाजार में भी अपनी जगह बना रही है। यह कदम भारत की तकनीकी क्षमता और वैश्विक सुरक्षा क्षेत्र में उसकी बढ़ती भूमिका का प्रतीक है।
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