लेबनानी शिया संगठन हिजबुल्लाह ने हाल ही में अपना नया महासचिव नियुक्त किया है—नईम कासिम। 27 सितंबर को इजरायली हमले में हिजबुल्लाह के पूर्व महासचिव हसन नसरल्लाह की मृत्यु के बाद कासिम ने संगठन की बागडोर संभाली। हिजबुल्लाह की स्थापना से लेकर आज तक का सफर कासिम के नेतृत्व में किस दिशा में जाएगा, यह सवाल काफी अहम हो गया है। आइये जानते हैं कौन हैं नईम कासिम, क्या है उनका इतिहास, और हिजबुल्लाह के लिए उनके नेतृत्व का क्या मतलब हो सकता है।
हिजबुल्लाह की स्थापना और नईम कासिम का शुरुआती सफर
हिजबुल्लाह का गठन 1982 में हुआ था, जब इजरायल ने लेबनान पर आक्रमण किया था। इस संगठन का मकसद था लेबनान से इजरायली सेना को खदेड़ना और शिया मुस्लिम समुदाय के अधिकारों की रक्षा करना। नईम कासिम हिजबुल्लाह के संस्थापक सदस्यों में से हैं। उन्होंने संगठन के गठन के समय से ही अपनी भूमिका निभानी शुरू की और धीरे-धीरे हिजबुल्लाह में एक महत्वपूर्ण पद तक पहुंचे। उनके विचार और कार्य संगठन के मौलिक सिद्धांतों में गहरे जुड़े हैं।
नईम कासिम का राजनीतिक और धार्मिक दृष्टिकोण
कासिम न केवल एक राजनीतिज्ञ हैं, बल्कि एक धार्मिक नेता भी माने जाते हैं। वे इस्लामी कानून और शिया विचारधारा को बखूबी समझते हैं और हिजबुल्लाह की राजनीतिक दिशा में अपनी भूमिका को लेकर स्पष्ट रहे हैं। उनका मानना है कि इजरायल का मुकाबला करने के लिए लेबनान में एक मज़बूत संगठन का होना ज़रूरी है। उनका दृष्टिकोण हिजबुल्लाह के मौजूदा समर्थकों और क्षेत्रीय सहयोगियों के लिए एक प्रेरणा है।
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हिजबुल्लाह में नईम कासिम का बढ़ता कद
नईम कासिम की यात्रा हिजबुल्लाह में एक साधारण सदस्य से डिप्टी चीफ और अब महासचिव तक का सफर रही है। उनका नेतृत्व संगठन के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, खासकर ऐसे समय में जब संगठन लगातार इजरायल के खिलाफ संघर्षरत है। कासिम के नेतृत्व में संगठन ने कई मोर्चों पर सफलता हासिल की है, जिसमें दक्षिणी लेबनान में इजरायल को पीछे हटाना शामिल है। यह उनकी मजबूत नेतृत्व क्षमता का प्रतीक है कि उन्हें संगठन का मुखिया बनाया गया है।
इजरायल के साथ जारी संघर्ष और कासिम का दृष्टिकोण
हिजबुल्लाह के नए महासचिव के रूप में कासिम के सामने सबसे बड़ी चुनौती इजरायल के साथ लगातार तनावपूर्ण संबंधों को संभालना है। इजरायल के खिलाफ हिजबुल्लाह का रुख सदैव आक्रामक रहा है, और नईम कासिम ने भी कई बार इजरायल को लेकर अपने सख्त विचार व्यक्त किए हैं। कासिम का मानना है कि इजरायल का मुकाबला सिर्फ ताकत से किया जा सकता है और उनका संगठन इस दिशा में किसी भी तरह की ढील नहीं देगा।
क्षेत्रीय सहयोगी और भविष्य की योजनाएं
हिजबुल्लाह ईरान से आर्थिक और सैन्य सहायता प्राप्त करता है। नईम कासिम के नेतृत्व में संगठन और अधिक मजबूती से क्षेत्रीय राजनीति में अपनी भूमिका निभाने की कोशिश करेगा। सीरिया, ईरान और यमन के हौसी विद्रोहियों के साथ हिजबुल्लाह के संबंध पहले से ही मज़बूत हैं, और कासिम के नेतृत्व में यह गठजोड़ और मजबूत हो सकता है। उनके नेतृत्व में संगठन की रणनीति बदल सकती है, जिसमें वैश्विक मंच पर हिजबुल्लाह की स्थिति को बढ़ाना भी शामिल हो सकता है।
हिजबुल्लाह की आंतरिक स्थिति और नईम कासिम की रणनीति
हिजबुल्लाह के अंदरूनी ढांचे में भी बदलाव की संभावना है। हिजबुल्लाह में नईम कासिम का आगमन ऐसे समय में हुआ है जब संगठन कई आंतरिक और बाहरी चुनौतियों का सामना कर रहा है। आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता के चलते संगठन को लेबनान में समर्थन बनाए रखने में मुश्किल हो रही है। नईम कासिम का उद्देश्य है कि हिजबुल्लाह अपने मूल सिद्धांतों को बनाए रखते हुए लेबनानी समाज में और भी गहराई से जुड़े।
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वैश्विक दृष्टिकोण से हिजबुल्लाह की स्थिति
हिजबुल्लाह को कई देशों ने आतंकी संगठन के रूप में घोषित किया है, जिसमें अमेरिका और कुछ यूरोपीय देश भी शामिल हैं। नईम कासिम के नेतृत्व में हिजबुल्लाह की वैश्विक छवि पर भी असर पड़ सकता है। अगर कासिम अपने नेतृत्व में संगठन की छवि को सुधारने और उसकी रणनीति को संतुलित करने में सफल होते हैं, तो यह संगठन की दीर्घकालिक स्थिरता के लिए लाभकारी हो सकता है।
हिजबुल्लाह का भविष्य: नईम कासिम के नेतृत्व में संभावनाएं और चुनौतियां
कासिम के लिए सबसे बड़ी चुनौती संगठन के मौलिक सिद्धांतों को बनाए रखते हुए इजरायल और पश्चिमी देशों के खिलाफ संगठन की मजबूत छवि को बरकरार रखना है। हिजबुल्लाह की बढ़ती भूमिका और कासिम की नेतृत्व क्षमता इस बात को लेकर आश्वस्त करती है कि वे संगठन के लक्ष्यों को लेकर किसी तरह का समझौता नहीं करेंगे।
निष्कर्ष: हिजबुल्लाह के नए युग में नईम कासिम की भूमिका
नईम कासिम के नेतृत्व में हिजबुल्लाह नए युग में प्रवेश कर रहा है। इजरायल के साथ संघर्ष, क्षेत्रीय सहयोगी, और संगठन की छवि को बेहतर बनाने की चुनौतियों के साथ, कासिम को अपने कौशल और अनुभव का सही उपयोग करना होगा। हिजबुल्लाह की राजनीतिक, धार्मिक, और सैन्य भूमिका को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि कासिम के नेतृत्व में संगठन का भविष्य उज्ज्वल हो सकता है।
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