महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024: असली बनाम नकली शिवसेना और एनसीपी में मुकाबला

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024: बिसात बिछ चुकी है, असली बनाम नकली का मुकाबला

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की बिसात बिछ चुकी है, जहां बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए (महायुति) और कांग्रेस की अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन (महा विकास अघाड़ी) के बीच मुख्य मुकाबला है। इस बार चुनाव की खासियत यह है कि राजनीतिक धड़े ‘असली बनाम नकली’ की अवधारणा में उलझे हुए हैं। शिवसेना और एनसीपी के दो धड़ों में बंटने से राज्य की राजनीति में नए समीकरण बन गए हैं। शिवसेना के एक धड़े की कमान एकनाथ शिंदे के हाथ में है जबकि दूसरे की बागडोर उद्धव ठाकरे संभाल रहे हैं। इसी तरह एनसीपी भी अजीत पवार और शरद पवार के नेतृत्व में विभाजित हो चुकी है।

मुख्य मुकाबला: असली बनाम नकली का संघर्ष

चुनाव के केंद्र में बीजेपी और महायुति का सामना महा विकास अघाड़ी से हो रहा है, लेकिन इस चुनाव का असली आकर्षण ‘असली बनाम नकली’ शिवसेना और एनसीपी के बीच है। यह विभाजन महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े बदलाव का संकेत है और इसे लेकर मतदाता भ्रमित और चिंतित हैं कि वे किस धड़े का समर्थन करें।

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शिवसेना का विभाजन: शिंदे बनाम ठाकरे

शिवसेना का विभाजन 2022 में सामने आया जब एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के अधिकांश विधायकों का समर्थन हासिल कर बीजेपी के साथ गठबंधन कर लिया। इसके बाद उद्धव ठाकरे के पास शिवसेना का एक अल्पसंख्यक धड़ा ही बचा। शिंदे की शिवसेना को चुनाव आयोग ने ‘शिवसेना’ नाम और चुनाव चिह्न ‘धनुष-बाण’ दिया। वहीं उद्धव ठाकरे की पार्टी को शिवसेना (यूबीटी) के रूप में मान्यता मिली।

एनसीपी का विभाजन: शरद बनाम अजीत

एनसीपी का विभाजन भी इसी तरह अजीत पवार के बीजेपी के साथ गठबंधन करने से हुआ। उन्होंने शरद पवार के विपरीत रास्ता अपनाते हुए राज्य के उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार कर लिया। शरद पवार, जो एनसीपी के संस्थापक हैं, अपने धड़े को एनसीपी (एस) के नाम से संगठित कर रहे हैं। वहीं अजीत पवार का धड़ा एनसीपी का ‘असली’ प्रतिनिधित्व होने का दावा कर रहा है।

असली बनाम नकली शिवसेना: 47 विधानसभा सीटों पर संघर्ष

राज्य की कुल 288 विधानसभा सीटों में से 47 सीटों पर शिवसेना के दोनों धड़ों के बीच सीधा मुकाबला है। उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेनाओं के बीच इन सीटों पर कड़ा संघर्ष देखने को मिल रहा है। मतदाता इस उलझन में हैं कि असली शिवसेना कौन है, और इससे शिवसेना के चुनावी प्रदर्शन पर प्रभाव पड़ सकता है।

एनसीपी का संघर्ष: 36 सीटों पर एनसीपी बनाम एनसीपी

एनसीपी का असली बनाम नकली संघर्ष 36 विधानसभा सीटों पर हो रहा है, जहां शरद पवार और अजीत पवार दोनों अपने-अपने धड़ों का समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। इन सीटों पर दोनों पक्षों की स्थिति असमंजस में है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता किस धड़े को चुनती है।

राजनीतिक समीकरण और गठबंधन की ताकत

महा विकास अघाड़ी में कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार की एनसीपी (एस) शामिल हैं। वहीं महायुति में बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजीत पवार की एनसीपी हैं। महायुति का दावा है कि उनकी सरकार ने राज्य में स्थिरता और विकास को बढ़ावा दिया है, जबकि महा विकास अघाड़ी सरकार के दौरान भ्रष्टाचार और शासन के मुद्दे उठे थे। महा विकास अघाड़ी का दावा है कि बीजेपी और महायुति सत्ता की भूखी हैं और वे असली शिवसेना और एनसीपी का अपमान कर रहे हैं।

असली और नकली शिवसेना-एनसीपी का विवाद: क्या कहती है जनता?

जनता में इस बात को लेकर असमंजस है कि किसे असली माना जाए। कई सर्वेक्षणों से पता चलता है कि अधिकांश मतदाता अभी तक इस बात को लेकर स्पष्ट नहीं हैं कि किस शिवसेना और एनसीपी का समर्थन करें। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार का चुनाव राज्य में पार्टी पहचान को लेकर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

महाराष्ट्र की राजनीति में बदलाव और नई रणनीतियाँ

राज्य में बीजेपी का प्रभाव बढ़ाने की कोशिश है। शिंदे और अजीत पवार की मदद से बीजेपी की पकड़ मजबूत हुई है, और यह सहयोग महायुति को मजबूत बनाता है। दूसरी ओर, महा विकास अघाड़ी ने जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए कई जनसभाएँ और रैलियाँ आयोजित की हैं।

चुनावी आंकड़े और भविष्यवाणी

विधानसभा के पिछले चुनावों में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन ने बड़ी संख्या में सीटें जीती थीं, जबकि महा विकास अघाड़ी ने अच्छी टक्कर दी थी। 2019 के चुनाव में बीजेपी ने 105 सीटें जीती थीं, जबकि शिवसेना ने 56, और एनसीपी और कांग्रेस ने क्रमशः 54 और 44 सीटें हासिल की थीं। यह देखते हुए कि इस बार का चुनाव एक बदलते राजनीतिक परिदृश्य के तहत हो रहा है, विशेषज्ञ मानते हैं कि परिणाम आश्चर्यजनक हो सकते हैं।

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मतदाताओं के लिए क्या विकल्प?

मतदाता असली और नकली के भ्रम में हैं, लेकिन उनकी प्राथमिकताएँ अधिकतर उनके स्थानीय मुद्दों, नेताओं की विश्वसनीयता, और विकास के दावों पर आधारित होंगी। बीजेपी महायुति द्वारा किए गए विकास कार्यों का दावा कर रही है, जबकि महा विकास अघाड़ी सरकार को अस्थिरता का उदाहरण मानती है।

नतीजे का प्रभाव और सत्ता की संभावना

इस बार का चुनाव यह तय करेगा कि राज्य में किस गठबंधन की पकड़ मजबूत होगी। महा विकास अघाड़ी और महायुति के बीच कड़ी टक्कर है और राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि किसी एक गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलेगा। सत्ता का संतुलन निर्दलीय और छोटे दलों के हाथों में जा सकता है।

निष्कर्ष

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 असली बनाम नकली शिवसेना और एनसीपी के मुद्दे से जुड़ा है, जो राज्य के मतदाताओं को दुविधा में डाल रहा है। शिवसेना और एनसीपी के विभाजन ने मतदाताओं को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि उनकी प्राथमिकताएँ और नेता कौन हैं। इस चुनाव का परिणाम महाराष्ट्र की राजनीति की दिशा बदलने का माद्दा रखता है, और राज्य के विकास और स्थिरता के मुद्दे इसके साथ जुड़े हैं।

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