कनाडा SDS वीजा में 5 बड़े बदलाव: भारतीय छात्रों के लिए नई चुनौतियाँ

कनाडा सरकार ने शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए अपने लोकप्रिय Student Direct Stream (SDS) वीजा कार्यक्रम को बंद कर दिया है। यह कदम देश में बढ़ते आवास और संसाधनों के संकट से निपटने के उद्देश्य से उठाया गया है। Immigration, Refugees and Citizenship Canada (IRCC) ने 2018 में इस कार्यक्रम की शुरुआत की थी, ताकि छात्रों के अध्ययन परमिट के आवेदन प्रक्रिया को तेज किया जा सके। यह सुविधा 14 देशों के छात्रों को उपलब्ध करवाई गई थी, जिनमें भारत, ब्राज़ील, चीन, पाकिस्तान, वियतनाम और कई अन्य देश शामिल हैं।

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क्यों बंद हुआ SDS वीजा कार्यक्रम?

कनाडा सरकार ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर इस बदलाव के पीछे के कारणों का उल्लेख किया है। उनका कहना है कि यह निर्णय “प्रोग्राम की पारदर्शिता बढ़ाने, छात्र सुरक्षा को सुनिश्चित करने और सभी छात्रों के लिए आवेदन प्रक्रिया को निष्पक्ष बनाने” के लिए लिया गया है। SDS वीजा कार्यक्रम के बंद होने के बाद अब सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों को नियमित अध्ययन परमिट आवेदन प्रक्रिया का पालन करना होगा, जो पहले से अधिक समय लेने वाली प्रक्रिया है।

SDS वीजा कार्यक्रम: क्या था इसका महत्व?

SDS वीजा कार्यक्रम उन छात्रों के लिए फायदेमंद साबित हुआ था, जो जल्दी से जल्दी अपनी पढ़ाई के लिए कनाडा जाना चाहते थे। इस कार्यक्रम के तहत आवेदन करने वाले छात्रों को आमतौर पर अधिक स्वीकार्यता दर मिलती थी और आवेदन की प्रक्रिया भी तेज होती थी। इसके कारण भारत और अन्य 13 देशों के छात्र इससे काफी लाभान्वित हो रहे थे। अब इस कार्यक्रम के बंद होने से उन्हें लम्बी प्रक्रिया का सामना करना पड़ेगा।

आवास और संसाधन संकट: एक प्रमुख कारण

कनाडा में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या में पिछले कुछ वर्षों में जबरदस्त वृद्धि हुई है, जिससे आवास और संसाधनों पर दबाव बढ़ा है। विशेष रूप से टोरंटो और वैंकूवर जैसे बड़े शहरों में आवास की मांग काफी बढ़ी है, जिसके चलते घरों की कीमतों में वृद्धि हुई है। छात्रों के लिए उचित और सस्ता आवास ढूंढना अब एक चुनौती बन गया है, और इसी दबाव को कम करने के लिए कनाडा ने इस वीजा कार्यक्रम को बंद करने का निर्णय लिया है।

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नए बदलावों का प्रभाव

# लम्बी वीजा प्रक्रिया: SDS के बंद होने से अब सभी छात्रों को नियमित अध्ययन परमिट के तहत आवेदन करना होगा, जिसमें अधिक समय लगता है।

कम वीजा स्वीकृति दर –SDS के तहत वीजा स्वीकृति दर अधिक थी, लेकिन अब इसकी कमी छात्रों के लिए एक चुनौती साबित हो सकती है।

प्रभावित छात्र- इस फैसले का सबसे बड़ा प्रभाव भारतीय छात्रों पर पड़ेगा, जो विदेश में पढ़ाई के लिए कनाडा का चुनाव करते हैं।

आंकड़े और विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञों का कहना है कि इस बदलाव का सीधा असर कनाडा की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय छात्रों का देश की शिक्षा प्रणाली और स्थानीय अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है। 2022 में, अकेले भारतीय छात्रों ने ही कनाडा की अर्थव्यवस्था में करोड़ों डॉलर का योगदान दिया। लेकिन SDS के बंद होने से कनाडा की विश्वविद्यालयों और संस्थानों में छात्र नामांकन में गिरावट आ सकती है।

एक स्थानीय शिक्षा विशेषज्ञ, डॉ. मैरी हेंस का कहना है, “SDS कार्यक्रम के तहत बड़ी संख्या में छात्र जल्दी और सुगमता से वीजा प्राप्त कर पाते थे। अब इस कार्यक्रम के बंद होने से यह संभावना है कि कई छात्र दूसरे देशों जैसे ऑस्ट्रेलिया या यूनाइटेड किंगडम की तरफ रुख करेंगे।”

अन्य देशों का विकल्प

कनाडा के इस बदलाव के बाद भारतीय और अन्य देशों के छात्र अब अन्य शिक्षा विकल्पों की तलाश में जुट सकते हैं। जैसे, ऑस्ट्रेलिया और यूनाइटेड किंगडम में भी अच्छी शिक्षा प्रणाली उपलब्ध है, और वहाँ की वीजा प्रक्रियाएं भी आसान हैं। इस कारण कनाडा के बजाय छात्र अब इन देशों में पढ़ाई के लिए आवेदन कर सकते हैं।

निष्कर्ष

SDS वीजा कार्यक्रम का बंद होना अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है। हालांकि यह कदम कनाडा में आवास और संसाधनों के संकट को हल करने के उद्देश्य से उठाया गया है, लेकिन इससे कनाडा में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या पर असर पड़ सकता है। अब छात्रों को लम्बी वीजा प्रक्रिया का सामना करना पड़ेगा, जिससे उनके लिए कनाडा में शिक्षा हासिल करना पहले जितना आसान नहीं रहेगा।

छात्रों के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण समय हो सकता है, लेकिन इस बदलाव के बाद भी यह देखा जाना बाकी है कि कनाडा में शिक्षा के लिए कितने छात्र आवेदन करते हैं और देश के शिक्षा क्षेत्र पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।

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