Syria Conflict पर गहराई से नज़र: कब, क्यों और कैसे ? / शरणार्थी संकट और वैश्विक राजनीति

Syria Conflict –  सीरिया, एक ऐसा देश जो कभी अपनी ऐतिहासिक धरोहरों और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता था, आज जंग का नया मैदान बन गया है। बीते 5 दिनों में सीरिया में हुई हिंसा में 500 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इस संघर्ष ने न केवल लाखों लोगों की जिंदगी को तबाह किया है, बल्कि वैश्विक राजनीति को भी हिलाकर रख दिया है। आइए, इस लेख में समझते हैं सीरिया के संघर्ष की शुरुआत, इसकी वजहें और आज की स्थिति।

सीरिया में संघर्ष की शुरुआत: कब और क्यों?

सीरिया में जारी संघर्ष की जड़ें 2011 में शुरू हुए अरब स्प्रिंग (Arab Spring) से जुड़ी हैं। यह वह समय था जब मिडिल ईस्ट और उत्तरी अफ्रीका के कई देशों में जनता ने तानाशाही और भ्रष्ट शासन के खिलाफ आवाज उठाई। सीरिया में भी लोगों ने राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किए।

ये प्रदर्शन शांतिपूर्ण थे, लेकिन सरकार ने इन्हें दबाने के लिए हिंसक तरीकों का इस्तेमाल किया। जल्द ही, यह आंदोलन एक गृहयुद्ध में बदल गया। देश में कई गुट बन गए—सरकारी सेना, विद्रोही गुट, कुर्दिश सेनाएं, और इस्लामिक स्टेट (ISIS)।

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बशर अल-असद की भूमिका

बशर अल-असद 2000 में अपने पिता हाफ़िज़ अल-असद की मृत्यु के बाद सीरिया के राष्ट्रपति बने। शुरुआत में उन्हें एक उदारवादी नेता माना गया, लेकिन सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए उन्होंने कठोर नीतियां अपनाईं। 2011 के बाद असद सरकार ने विद्रोहियों को कुचलने के लिए हर संभव हथकंडा अपनाया, जिसमें रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल भी शामिल है।

सीरिया का जटिल राजनीतिक परिदृश्य

सीरिया का संघर्ष सिर्फ एक गृहयुद्ध नहीं है। यह एक ऐसा जटिल युद्ध बन चुका है जिसमें कई देशों और गुटों के हित शामिल हैं।

1. रूस और ईरान का समर्थन:
बशर अल-असद की सरकार को रूस और ईरान का पूरा समर्थन है। रूस ने 2015 से सीरिया में हवाई हमले शुरू किए, जिससे असद सरकार को बड़ी मदद मिली।

2. अमेरिका और पश्चिमी देश:
अमेरिका और उसके सहयोगी विद्रोही गुटों का समर्थन कर रहे हैं। उनका उद्देश्य असद सरकार को कमजोर करना है।

3. तुर्की और कुर्द गुट:
तुर्की, कुर्दिश गुटों को कमजोर करने की कोशिश में है, क्योंकि यह उन्हें अपनी सीमा के लिए खतरा मानता है।

आंकड़ों में सीरिया का संघर्ष

– मरने वालों की संख्या:
2011 से अब तक सीरिया के संघर्ष में 5 लाख से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।

– शरणार्थी संकट:
1.2 करोड़ से अधिक लोग या तो शरणार्थी बन चुके हैं या देश के भीतर ही विस्थापित हैं।

– आर्थिक नुकसान:
सीरिया की अर्थव्यवस्था लगभग पूरी तरह तबाह हो चुकी है। 2023 में देश की GDP 2010 के मुकाबले 60% कम हो चुकी थी।

हालिया घटनाएं: 5 दिनों में 500 मौतें

अभी हाल ही में, सीरिया के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में हुए संघर्षों में 500 से अधिक लोग मारे गए हैं। यह इलाका मुख्य रूप से विद्रोहियों और कुर्दिश गुटों के नियंत्रण में है। सरकारी सेना और विद्रोही गुटों के बीच झड़पें इतनी तीव्र थीं कि आम लोग बुरी तरह प्रभावित हुए।

संघर्ष के मानवीय पहलू

सीरिया के संघर्ष ने लाखों परिवारों को तबाह कर दिया है।
– शरणार्थी संकट: पड़ोसी देशों जैसे लेबनान, जॉर्डन और तुर्की में शरणार्थियों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि वहां के संसाधन भी खत्म होने की कगार पर हैं।
– बच्चों की दुर्दशा: यूनिसेफ के अनुसार, सीरिया में लगभग 60 लाख बच्चे मानवीय मदद पर निर्भर हैं।

वैश्विक राजनीति और सीरिया

सीरिया का संघर्ष केवल एक स्थानीय मुद्दा नहीं है। यह वैश्विक राजनीति का केंद्र बन चुका है।

– रूस और अमेरिका के बीच तनाव:

सीरिया में रूस और अमेरिका के बीच संघर्ष ने शीत युद्ध की यादें ताजा कर दी हैं।

– तेल और गैस के हित:
मिडिल ईस्ट में तेल और गैस के बड़े भंडार हैं। कई देशों की रुचि सीरिया के भविष्य में इसलिए भी है।

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समाधान की राह: क्या हो सकता है हल?

सीरिया के संघर्ष का कोई आसान हल नहीं है। फिर भी, कुछ कदम इस दिशा में मददगार हो सकते हैं:

1. शांति वार्ता:
सभी पक्षों को बातचीत की मेज पर लाना होगा। संयुक्त राष्ट्र इस दिशा में काम कर रहा है।

2. मानवीय मदद:
शरणार्थियों और पीड़ितों के लिए मानवीय मदद बढ़ानी होगी।

3. अंतरराष्ट्रीय सहयोग:
बड़े देशों को अपने स्वार्थ छोड़कर सीरिया में स्थिरता लाने के लिए सहयोग करना होगा।

निष्कर्ष

सीरिया का संघर्ष एक त्रासदी है, जो न केवल वहां के लोगों की जिंदगी को बर्बाद कर रहा है, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक सबक भी है। यह संघर्ष दिखाता है कि जब सत्ता की भूख और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के हित आपस में टकराते हैं, तो आम लोग ही सबसे अधिक पीड़ित होते हैं। सीरिया के लिए शांति की राह लंबी और कठिन है, लेकिन इसे संभव बनाने के लिए हर किसी को अपनी भूमिका निभानी होगी।

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