India-Israel Defence Ties: क्यों जयशंकर ने कहा इज़रायल Always Supported India ?

इज़रायल और भारत की दोस्ती: क्यों कहा जयशंकर ने ये बयान?

India-Israel Defence Ties:  गुरुवार को राज्यसभा के प्रश्नकाल के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ( S. Jayshankar) ने इज़रायल-हमास युद्ध पर अपनी राय रखी। उन्होंने भारत और इज़रायल के बीच गहरे रक्षा संबंधों का बचाव किया और यह स्पष्ट किया कि इज़रायल ने हमेशा भारत के साथ खड़े होकर सुरक्षा खतरों में मदद की है। उनके इस बयान ने भारत और इज़रायल के कूटनीतिक और सुरक्षा संबंधों को एक बार फिर से सुर्खियों में ला दिया है।


भारत-इज़रायल संबंधों का इतिहास

भारत और इज़रायल के संबंध 1992 में कूटनीतिक रिश्ते स्थापित होने के बाद तेजी से विकसित हुए। हालांकि भारत ने 1948 में इज़रायल को एक देश के रूप में मान्यता दी थी, लेकिन दोनों देशों के बीच औपचारिक संबंधों में लंबा वक्त लगा। इसके पीछे मुख्य वजह भारत की पश्चिम एशियाई नीति और अरब देशों से उसके संबंध थे।

1992 के बाद से, दोनों देशों ने कृषि, विज्ञान, तकनीकी, और रक्षा जैसे क्षेत्रों में एक-दूसरे के साथ घनिष्ठ सहयोग करना शुरू किया। इज़रायल की उन्नत रक्षा तकनीकी और भारत की विशाल सैन्य आवश्यकताओं के कारण, दोनों देशों के बीच एक महत्वपूर्ण साझेदारी बनी।


सुरक्षा में इज़रायल का योगदान

विदेश मंत्री जयशंकर ने अपने बयान में साफ किया कि इज़रायल ने हमेशा भारत की सुरक्षा में एक मजबूत साथी की भूमिका निभाई है। 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान, जब भारत को त्वरित रूप से सैन्य सहायता की आवश्यकता थी, तो इज़रायल ने बिना किसी हिचक के मदद की। उन्होंने भारत को अत्याधुनिक हथियार, निगरानी प्रणाली, और युद्ध सामग्री उपलब्ध कराई, जो युद्ध के दौरान बेहद प्रभावी साबित हुई।

इसके अलावा, इज़रायल की एंटी-टेररिज्म रणनीतियां और तकनीकी विशेषज्ञता भारत के लिए आतंकवाद से निपटने में बेहद लाभकारी रही हैं। इज़रायल से भारत ने ड्रोन तकनीकी, रडार सिस्टम और मिसाइल रक्षा प्रणाली जैसे उन्नत उपकरण खरीदे हैं।

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हमास-इज़रायल युद्ध पर भारत का दृष्टिकोण

हाल के हमास-इज़रायल संघर्ष ने वैश्विक स्तर पर कई देशों को अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए प्रेरित किया। भारत ने इस मुद्दे पर संयमित प्रतिक्रिया दी है। हालांकि भारत हमेशा आतंकवाद की निंदा करता रहा है, लेकिन उसकी नीति संतुलित रही है ताकि पश्चिम एशिया के अन्य देशों से भी संबंध अच्छे बने रहें।

जयशंकर ने राज्यसभा में कहा कि भारत की सभी नीतियां राष्ट्रीय सुरक्षा हितों से प्रेरित होती हैं। इज़रायल के साथ रक्षा सहयोग को इसी दृष्टिकोण से देखा जाता है। उन्होंने कहा कि भारत किसी भी निर्णय को व्यापक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए लेता है, लेकिन प्राथमिकता राष्ट्रीय सुरक्षा की होती है।


रक्षा साझेदारी के आर्थिक आयाम

भारत और इज़रायल के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग न सिर्फ सामरिक, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 से 2023 के बीच भारत ने इज़रायल से लगभग 2 बिलियन डॉलर की रक्षा सामग्री आयात की है। इनमें रडार सिस्टम, मिसाइल डिफेंस सिस्टम और ड्रोन शामिल हैं।

इसके अलावा, इज़रायल की तकनीकी विशेषज्ञता ने भारतीय स्टार्टअप्स और रक्षा अनुसंधान में भी योगदान दिया है। दोनों देशों ने संयुक्त रूप से कई रक्षा परियोजनाओं पर काम किया है, जिससे भारतीय उद्योगों को नई तकनीकी और विशेषज्ञता हासिल हुई है।


विशेषज्ञों की राय

कूटनीति और सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और इज़रायल के संबंध समय की मांग हैं। इज़रायल की उन्नत तकनीकी और भारत की बढ़ती सुरक्षा आवश्यकताओं के बीच एक स्वाभाविक सहयोग है।

प्रोफेसर सी. राजा मोहन का कहना है, “भारत को इज़रायल से न सिर्फ तकनीकी सहायता मिलती है, बल्कि एक ऐसा साथी भी मिलता है, जो आतंकवाद जैसे मुद्दों पर भारत के साथ खड़ा होता है।”

एक अन्य विशेषज्ञ, मेजर जनरल (रिटायर्ड) पी.के. चक्रवर्ती ने कहा, “इज़रायल ने कारगिल युद्ध के दौरान जो मदद की, वह भारत के लिए गेमचेंजर साबित हुई। यह साझेदारी रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है।”


आलोचना और चुनौतियां

हालांकि भारत-इज़रायल संबंध मजबूत हैं, लेकिन इन्हें लेकर आलोचना भी होती है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि इज़रायल के साथ बढ़ते रक्षा संबंध भारत की अरब देशों के साथ कूटनीति को कमजोर कर सकते हैं। भारत के लिए पश्चिम एशिया ऊर्जा सुरक्षा और प्रवासी भारतीयों के संदर्भ में भी बेहद महत्वपूर्ण है।

इसके अलावा, इज़रायल-फिलिस्तीन मुद्दे पर भारत को एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना होगा, ताकि उसकी गुट-निरपेक्ष नीति पर सवाल न उठें।


वास्तविक उदाहरण: दोनों देशों के बीच सहयोग

  • एंटी-टेररिज्म ट्रेनिंग: भारतीय सुरक्षा बलों को इज़रायल से आतंकवाद-रोधी रणनीतियों की ट्रेनिंग मिलती है।
  • ड्रोन तकनीकी: भारत ने इज़रायल से कई आधुनिक ड्रोन खरीदे हैं, जो सीमा पर निगरानी के लिए इस्तेमाल होते हैं।
  • मिसाइल सिस्टम: भारत के रक्षा ढांचे को मजबूत करने में इज़रायली मिसाइल डिफेंस सिस्टम का बड़ा योगदान है।

भविष्य की संभावनाएं

भारत और इज़रायल के बीच संबंधों की संभावनाएं और भी व्यापक हैं। दोनों देश साइबर सुरक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और जल प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग कर सकते हैं।

इज़रायल की ड्रिप इरिगेशन तकनीकी भारत के कृषि क्षेत्र में क्रांति ला सकती है। इसी तरह, भारत की विशाल अर्थव्यवस्था और इज़रायल की नवाचार क्षमता मिलकर दोनों देशों को वैश्विक स्तर पर और मजबूत बना सकती है।

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निष्कर्ष

जयशंकर का बयान भारत-इज़रायल संबंधों की गहराई और महत्व को दर्शाता है। यह साझेदारी न सिर्फ सामरिक दृष्टि से, बल्कि आर्थिक और तकनीकी दृष्टि से भी फायदेमंद है।

भारत को अपनी नीतियों में संतुलन बनाते हुए, इज़रायल और अन्य देशों के साथ संबंधों को मजबूत करना होगा। इज़रायल ने भारत के साथ खड़े होकर अपनी दोस्ती साबित की है, और यही कारण है कि दोनों देशों के संबंध आने वाले वर्षों में और भी प्रगाढ़ होंगे।

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