UN में यूक्रेन पर अमेरिका का चौंकाने वाला कदम! रूस के साथ मिलकर बदल दी गेम-प्लान, भारत-चीन ने क्यों किया मतदान से परहेज?”

UN में Russia-Ukraine War की तीसरी वर्षगांठ पर संयुक्त राष्ट्र में हुए मतदान ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। अमेरिका ने दो बार रूस के साथ मतदान करके सबको चौंका दिया है। यह ट्रंप प्रशासन की यूक्रेन युद्ध पर नई रणनीति को दर्शाता है। इसके साथ ही, भारत और चीन जैसे बड़े देशों ने मतदान से परहेज करके अपनी तटस्थता दिखाई है। यह घटना अंतरराष्ट्रीय संबंधों में बदलते गठजोड़ और भू-राजनीतिक तनाव को उजागर करती है।

संयुक्त राष्ट्र में क्या हुआ?

संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में यूरोपीय देशों ने एक प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें रूस के कार्यों की निंदा की गई और यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन किया गया। इस प्रस्ताव के खिलाफ अमेरिका ने रूस, उत्तर कोरिया और बेलारूस जैसे देशों के साथ मतदान किया। यह अमेरिका की पुरानी नीति से एक बड़ा बदलाव है, क्योंकि पहले अमेरिका हमेशा यूक्रेन का समर्थन करता था।

इसके बाद, अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें युद्ध को समाप्त करने का आह्वान किया गया, लेकिन रूस की आलोचना नहीं की गई। इस प्रस्ताव को सुरक्षा परिषद में पास कर दिया गया, लेकिन अमेरिका के दो प्रमुख सहयोगी, ब्रिटेन और फ्रांस, ने मतदान से परहेज किया। उन्होंने प्रस्ताव के शब्दों में बदलाव की कोशिश की थी, लेकिन अमेरिका ने उनके प्रस्ताव को वीटो कर दिया।

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अमेरिका की नई रणनीति क्या है?

अमेरिका का रूस के साथ मतदान करना एक बड़ा राजनीतिक संकेत है। ट्रंप प्रशासन ने यूक्रेन युद्ध पर अपनी नीति में बदलाव किया है। पहले अमेरिका यूक्रेन को सैन्य और आर्थिक सहायता देता था और रूस की कड़ी आलोचना करता था। लेकिन अब अमेरिका युद्ध को समाप्त करने पर जोर दे रहा है, और रूस के खिलाफ सीधी आलोचना से बच रहा है।

इस बदलाव के पीछे कई कारण हो सकते हैं। पहला, अमेरिका रूस के साथ अपने संबंध सुधारना चाहता है। दूसरा, अमेरिका यूक्रेन युद्ध के कारण हो रहे आर्थिक नुकसान से बचना चाहता है। तीसरा, अमेरिका चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए रूस के साथ सहयोग करना चाहता है।

भारत और चीन ने क्यों किया मतदान से परहेज?

भारत और चीन ने दोनों प्रस्तावों पर मतदान से परहेज किया है। यह दोनों देशों की तटस्थता और स्वतंत्र विदेश नीति को दर्शाता है। भारत ने हमेशा से ही यूक्रेन युद्ध पर संतुलित रुख अपनाया है। भारत ने न तो रूस की आलोचना की है और न ही यूक्रेन का खुलकर समर्थन किया है। इसके पीछे भारत की रणनीतिक जरूरतें हैं। भारत रूस से सैन्य सामान और तेल आयात करता है, इसलिए वह रूस के साथ संबंध बनाए रखना चाहता है।

चीन ने भी मतदान से परहेज किया है। चीन रूस का करीबी सहयोगी है, लेकिन वह यूक्रेन युद्ध में सीधे तौर पर शामिल नहीं होना चाहता। चीन अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी छवि को नुकसान पहुंचाने से बचना चाहता है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया क्या है?

अमेरिका के इस कदम से यूरोपीय देश हैरान और नाराज हैं। यूरोपीय संघ ने अमेरिका की नीति को “असंगत” बताया है। ब्रिटेन और फ्रांस ने अमेरिका के प्रस्ताव को वीटो करके अपनी नाराजगी जताई है। यूक्रेन ने अमेरिका के इस कदम को “निराशाजनक” बताया है।

दूसरी ओर, रूस ने अमेरिका के समर्थन का स्वागत किया है। रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यह “सकारात्मक कदम” है और इससे युद्ध को समाप्त करने में मदद मिलेगी।

भविष्य में क्या हो सकता है?

अमेरिका का रूस के साथ मतदान करना भविष्य में अंतरराष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित कर सकता है। यह यूरोपीय देशों और अमेरिका के बीच तनाव पैदा कर सकता है। साथ ही, यह यूक्रेन युद्ध के समाधान की दिशा में एक नया रास्ता खोल सकता है।

भारत और चीन का तटस्थ रुख उनकी स्वतंत्र विदेश नीति को दर्शाता है। भविष्य में, यह दोनों देश अंतरराष्ट्रीय मंच पर और अधिक सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं।

निष्कर्ष

संयुक्त राष्ट्र में हुए मतदान ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नए बदलावों को उजागर किया है। अमेरिका का रूस के साथ मतदान करना एक बड़ा राजनीतिक संकेत है, जो भविष्य में अंतरराष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित कर सकता है। भारत और चीन का तटस्थ रुख उनकी स्वतंत्र विदेश नीति को दर्शाता है। यह घटना हमें यह सिखाती है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में गठजोड़ और नीतियां हमेशा बदलती रहती हैं, और देशों को अपने हितों के अनुसार निर्णय लेना चाहिए।

इस तरह के बदलावों को समझना हमारे लिए जरूरी है, क्योंकि यह हमारे भविष्य को प्रभावित कर सकते हैं। अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो, तो इसे शेयर करें और अपने विचार कमेंट में बताएं।

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