Trump Saudi Mission : पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार की वजह है यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे जंग को शांत करने के लिए उनकी नई पहल। ट्रंप ने हाल ही में घोषणा की है कि वह सऊदी अरब की यात्रा करके यूक्रेन-रूस शांति वार्ता को रीस्टार्ट करने की कोशिश करेंगे। उनका कहना है कि रूस के साथ डील करना यूक्रेन के मुकाबले “ज्यादा आसान” है। लेकिन सवाल यह है कि क्या ट्रंप की यह कोशिश सफल हो पाएगी? आइए, विस्तार से समझते हैं।
ट्रंप का प्लान: सऊदी अरब क्यों?
ट्रंप ने सऊदी अरब को इस मिशन के लिए चुनने के पीछे कई कारण हैं:
1. तेल और अर्थव्यवस्था का गढ़:
सऊदी अरब दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक है। रूस-यूक्रेन जंग के दौरान तेल की कीमतों ने ग्लोबल इकॉनमी को हिला दिया है। ट्रंप चाहते हैं कि सऊदी तेल उत्पादन बढ़ाकर रूस पर दबाव बनाए।
2. मध्यस्थ की भूमिका:
सऊदी अरब ने पहले भी यमन और कतर जैसे देशों के बीच मध्यस्थता की है। ट्रंप को उम्मीद है कि सऊदी के तटस्थ रुख से दोनों देश बातचीत के लिए राजी होंगे।
3. ट्रंप और सऊदी का रिश्ता:
ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका और सऊदी के रिश्ते काफी मजबूत हुए थे। 2017 में ट्रंप की सऊदी यात्रा के दौरान $110 बिलियन के हथियारों का डील हुआ था।
आंकड़े
2022 में रूस ने यूरोप को 48% तेल सप्लाई किया, जबकि सऊदी अरब ने 15%। ट्रंप चाहते हैं कि सऊदी तेल उत्पादन बढ़ाकर रूस की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाए।
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“रूस के साथ डील करना आसान”: ट्रंप का लॉजिक
ट्रंप ने कहा है कि यूक्रेन के मुकाबले रूस के साथ समझौता करना ज्यादा सीधा है। इसके पीछे उनकी क्या सोच है?
– पुतिन से पर्सनल रिश्ता:
ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच पहले भी अच्छे संबंध रहे हैं। 2018 में हेलसिंकी में हुई उनकी मुलाकात को “ब्रोमेंस” तक कहा गया था।
– यूक्रेन की हठधर्मिता:
यूक्रेन रूस से अपने खोए हुए इलाके (क्रीमिया और डोनबास) वापस चाहता है, जबकि रूस कोई समझौता करने को तैयार नहीं। ट्रंप मानते हैं कि यूक्रेन को “रियलिटी चेक” की जरूरत है।
– अमेरिकी चुनावों की राजनीति:
ट्रंप 2024 के चुनावों की तैयारी में हैं। अगर वह यूक्रेन जंग को शांत करने में भूमिका निभाते हैं, तो यह उनकी इमेज को मजबूत करेगा।
सऊदी अरब की भूमिका: क्या है खेल?
सऊदी अरब ने हाल के वर्षों में अपनी अंतरराष्ट्रीय छवि बदलने की कोशिश की है। यहां तक कि उसने इजरायल के साथ रिश्ते सामान्य करने की बात भी की है। लेकिन यूक्रेन-रूस मामले में उसकी क्या रुचि है?
– तेल बाजार पर कंट्रोल:
सऊदी चाहता है कि तेल की कीमतें स्थिर रहें ताकि उसकी अर्थव्यवस्था को फायदा हो।
– अमेरिका के साथ तालमेल:
सऊदी अरब अमेरिका के साथ रिश्ते मजबूत करके अपनी सुरक्षा चाहता है, खासकर ईरान के खतरे के मद्देनजर।
– ग्लोबल लीडर बनने की चाह:
क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान सऊदी को एक मॉडर्न और प्रभावशाली देश बनाना चाहते हैं।
उदाहरण:
2022 में सऊदी अरब ने यूक्रेन को $400 मिलियन की मानवीय सहायता दी, लेकिन रूस के खिलाफ सैन्य कार्रवाई का समर्थन नहीं किया।
चुनौतियां: क्यों मुश्किल है शांति वार्ता?
ट्रंप की इस कोशिश के आगे कई रोड़े हैं:
1. यूक्रेन का रुख: यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने साफ कहा है कि वह कोई ऐसा समझौता नहीं करेंगे जिसमें उनके इलाके रूस के कब्जे में रहें।
2. रूस की मांगें: पुतिन चाहते हैं कि यूक्रेन नाटो में शामिल होने की कोशिश छोड़ दे और डोनबास को स्वतंत्र देश माने।
3. अमेरिकी राजनीति: बाइडन प्रशासन ट्रंप की इस पहल को “निजी एजेंडा” बता रहा है। उनका कहना है कि शांति वार्ता में यूक्रेन की आवाज सबसे जरूरी है।
आंकड़े: UN के अनुसार, फरवरी 2022 से अब तक यूक्रेन में 8,000 से ज्यादा नागरिक मारे गए हैं और 1.4 करोड़ लोग बेघर हुए हैं।
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विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
– राजनीतिक विश्लेषक अरुण कुमार:
“ट्रंप की यह कोशिश उनकी 2024 की रणनीति का हिस्सा है। अगर वह शांति वार्ता में सफल होते हैं, तो यह उनके लिए बड़ी जीत होगी।”
– यूक्रेन के पूर्व राजदूत वलोडिमिर यल्चेन्को:“ट्रंप रूस के साथ जल्दबाजी में समझौता करके यूक्रेन को कमजोर कर सकते हैं। हमें पश्चिम का समर्थन चाहिए, न कि अधूरी शांति।”
– सऊदी विशेषज्ञ अहमद अल-इब्राहिम: सऊदी अरब इस मौके का इस्तेमाल अपनी अंतरराष्ट्रीय पहचान मजबूत करने के लिए करेगा।”
क्या होगा आगे? संभावनाएं और निष्कर्ष**
ट्रंप की यह पहल दो तरह से असर डाल सकती है:
1. सकारात्मक: अगर सऊदी अरब तेल उत्पादन बढ़ाकर रूस पर दबाव बनाता है और दोनों देश बातचीत के लिए राजी होते हैं, तो यह एक बड़ी उपलब्धि होगी।
2. नकारात्मक: ट्रंप की कोशिश अगर नाकाम रही, तो यूक्रेन-रूस जंग और लंबी खिंच सकती है। साथ ही, अमेरिका में ट्रंप के विरोधी उन पर “पुतिन का एजेंट” होने का आरोप लगाएंगे।
फिलहाल, यूक्रेन-रूस जंग एक जटिल पहेली बनी हुई है। ट्रंप की सऊदी यात्रा इस पहेली का एक टुकड़ा भर है। असली सवाल यह है कि क्या दुनिया के नेता युद्ध की कीमत चुकाने को तैयार हैं, या फिर शांति के लिए ठोस कदम उठाएंगे?
यह लेख ट्रंप की सऊदी अरब यात्रा और यूक्रेन-रूस शांति वार्ता पर एक व्यापक नजरिया प्रदान करता है। अगर आपको यह जानकारी उपयोगी लगी हो, तो इसे शेयर करना न भूलें!
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