PM MODI– प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक और पॉडकास्ट होस्ट लेक्स फ्रिडमैन के साथ एक विस्तृत संवाद हुआ, जिसमें उन्होंने समकालीन भारतीय राजनीति, 2002 के गुजरात दंगों, लोकतंत्र के भविष्य, भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच, और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) सहित विविध विषयों पर अपने विचार साझा किए। यह संवाद भारतीय राजनीति के इतिहास, शासन व्यवस्था की कार्यशैली और समाज में व्याप्त भ्रांतियों के निराकरण का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज प्रस्तुत करता है।
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गुजरात दंगे: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और प्रशासनिक प्रतिक्रिया
जब 2002 के गुजरात दंगों पर चर्चा हुई, तो प्रधानमंत्री मोदी ने इसे ‘अकल्पनीय त्रासदी’ करार दिया, जो न केवल गुजरात बल्कि पूरे देश के लिए एक संवेदनशील क्षण था। उन्होंने स्पष्ट किया कि इससे पहले भी गुजरात में 250 से अधिक सांप्रदायिक दंगे हो चुके थे, और सामाजिक अस्थिरता आम बात थी। किंतु 2002 के बाद, राज्य में शांति की एक अभूतपूर्व अवधि शुरू हुई, जो प्रशासनिक दृढ़ता और सुव्यवस्थित नीति निर्माण का परिणाम थी।
गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस पर हुए हमले के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने इसे एक सुनियोजित हिंसा बताया, जिसने राज्य के सामाजिक ताने-बाने को अस्थिर करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि यह घटना एक व्यापक ऐतिहासिक और वैश्विक पृष्ठभूमि में घटित हुई थी, जब कंधार हाईजैक, संसद पर हमला और 9/11 जैसी घटनाओं ने वैश्विक आतंकवाद को बढ़ावा दिया था। इस संदर्भ में उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि दंगों को राजनीतिक लाभ के लिए विकृत रूप में प्रस्तुत किया गया, किंतु न्यायपालिका द्वारा निष्पक्ष जांच के उपरांत उन्हें दोषमुक्त करार दिया गया।
प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि जब यह घटना हुई, तब वह पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने थे और उन्हें सरकार चलाने का कोई पूर्व अनुभव नहीं था। इसके बावजूद, उन्होंने न केवल प्रशासनिक क्षमता का परिचय दिया, बल्कि पुनर्निर्माण एवं सामाजिक स्थिरता की एक नई दिशा निर्धारित की।
गुजरात: सामाजिक पुनर्निर्माण और आर्थिक प्रगति
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी रेखांकित किया कि गुजरात में 2002 से पहले दंगे, कर्फ्यू और सामाजिक हिंसा सामान्य बात थी। किसी भी तुच्छ कारण से सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न हो जाता था, किंतु उनके शासनकाल में न केवल हिंसा का उन्मूलन हुआ, बल्कि राज्य को एक आर्थिक और औद्योगिक केंद्र के रूप में पुनः स्थापित किया गया।
उन्होंने बताया कि कैसे गुजरात को निवेशकों के लिए आकर्षक बनाया गया, जिससे राज्य को औद्योगिक और अवसंरचनात्मक उन्नति प्राप्त हुई। इसके अतिरिक्त, महिलाओं के सशक्तिकरण और सामाजिक समरसता को भी बढ़ावा दिया गया, जिससे राज्य में सकारात्मक बदलाव देखने को मिला।
भारतीय लोकतंत्र का भविष्य और शासन में पारदर्शिता
प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय लोकतंत्र की संप्रभुता और सुदृढ़ता पर विशेष बल देते हुए इसे वैश्विक स्तर पर एक अनुकरणीय मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र न केवल सबसे बड़ा, बल्कि सबसे अधिक सशक्त भी है, जहां जनता का निर्णय ही सर्वोपरि होता है।
उन्होंने इस तथ्य को उजागर किया कि पारंपरिक भारतीय राजनीति तुष्टीकरण की अवधारणा पर आधारित रही थी, किंतु वर्तमान परिप्रेक्ष्य में विकास और सुशासन को प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने डिजिटल इंडिया और ई-गवर्नेंस को लोकतांत्रिक पारदर्शिता का अभिन्न अंग बताया और कहा कि यह नागरिकों की भागीदारी को बढ़ाने और भ्रष्टाचार को समाप्त करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।
भारत-पाक क्रिकेट – राष्ट्रीय भावना बनाम खेल भावना
भारत और पाकिस्तान के क्रिकेट संबंधों पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इसे केवल एक खेल न मानकर एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परिघटना के रूप में व्याख्यायित किया। उन्होंने कहा कि क्रिकेट केवल एक प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि दोनों देशों के बीच सामाजिक और राजनीतिक अंतःक्रिया का एक महत्वपूर्ण माध्यम भी है।
उन्होंने इस बात पर बल दिया कि खेल को राजनीति और कूटनीति से पृथक रखना चाहिए और इसे सद्भावना एवं पारस्परिक सहयोग की भावना से देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि खेल के माध्यम से देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित करने की संभावनाएं प्रबल होती हैं और इसे एक सकारात्मक दृष्टिकोण से देखना चाहिए।
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की भूमिका और भ्रांतियाँ
प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को लेकर व्याप्त भ्रांतियों को स्पष्ट करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि संघ का मूल उद्देश्य राष्ट्रसेवा और सामाजिक उत्थान है। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे संघ ने विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों में योगदान दिया है, चाहे वह प्राकृतिक आपदाओं में राहत कार्य हो, शिक्षा का प्रसार हो, या फिर समाज के वंचित वर्गों के उत्थान की योजनाएँ हों।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि संघ के बारे में नकारात्मक प्रचार केवल उन लोगों द्वारा किया जाता है जो इसके कार्यों से परिचित नहीं हैं। उन्होंने इसे राष्ट्रवादी विचारधारा का एक प्रमुख स्तंभ बताया, जिसका उद्देश्य भारतीय समाज को एकजुट करना और राष्ट्रीय अखंडता को सुदृढ़ करना है।
शासन, समाज और समावेशिता की ओर बढ़ता भारत
इस साक्षात्कार के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय राजनीति, समाज और शासन की जटिलताओं को व्यापक परिप्रेक्ष्य में रखा। उन्होंने न केवल अतीत की घटनाओं की विवेचना की, बल्कि भविष्य की दिशा भी निर्धारित की। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि विकास, सुशासन और पारदर्शिता ही उनकी प्राथमिकताएँ हैं, और राजनीति को विभाजन एवं संघर्ष के बजाय सामाजिक सुधार और आर्थिक उन्नति का माध्यम बनाया जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि भारत का भविष्य अत्यंत उज्ज्वल है, और राष्ट्रीय प्रगति में प्रत्येक नागरिक की भूमिका महत्वपूर्ण है। उनके अनुसार, ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ केवल एक नारा नहीं, बल्कि शासन का एक व्यापक दृष्टिकोण है, जो भारत को वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर करेगा।