BRICS समिट 2024: कज़ान में पीएम मोदी का स्वागत और रूस-यूक्रेन युद्ध पर चर्चा

BRICS समिट में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कज़ान पहुंचे, रूसियों ने कृष्ण भजन गाकर किया स्वागत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के ऐतिहासिक शहर कज़ान में BRICS समिट में शामिल होने के लिए पहुंचे, जहां उनका स्वागत बड़े ही गर्मजोशी और भारतीय परंपरा के तहत किया गया। रूस के नागरिकों ने उनका सम्मान करते हुए कृष्ण भजन गाए और भारतीय नृत्य प्रस्तुत किया, जिससे रूस और भारत के बीच सांस्कृतिक संबंधों की झलक साफ दिखाई दी। भारतीय प्रवासियों ने भी इस मौके पर पीएम मोदी से मुलाकात की, जो प्रवासी भारतीयों के लिए गर्व और उत्साह का पल था। **BRICS समिट**, जिसमें भारत की भूमिका हमेशा से महत्वपूर्ण रही है, इस बार भी ध्यान का केंद्र बनी रही।

भारत-रूस के मजबूत संबंधों की झलक

कज़ान पहुंचने के बाद, पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से द्विपक्षीय वार्ता की। इस वार्ता में रूस-यूक्रेन युद्ध पर चर्चा की गई, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने साफ तौर पर शांति और स्थिरता की बहाली पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से इस बात पर जोर देता है कि समस्याओं का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए। उनका कहना था, “रूस-यूक्रेन संघर्ष के मामले पर मैं लगातार आपके संपर्क में रहा हूं। हमारा मानना है कि सभी विवादों का समाधान बातचीत और कूटनीतिक रास्तों से होना चाहिए।”

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रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत की नीति

रूस-यूक्रेन युद्ध एक ऐसा मुद्दा है जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है, और इस संदर्भ में भारत की नीति हमेशा स्पष्ट रही है। पीएम मोदी ने वार्ता के दौरान फिर से यह स्पष्ट किया कि भारत शांति और स्थिरता की बहाली का समर्थन करता है। उन्होंने कहा कि, “हमारे प्रयास हमेशा मानवता को प्राथमिकता देते हैं। आने वाले समय में भारत हर संभव सहयोग के लिए तैयार है।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस टिप्पणी ने भारत की भूमिका को शांति के पक्षधर के रूप में और मजबूती से पेश किया।

पुतिन और मोदी की हंसी-मजाक का दिलचस्प किस्सा

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच की यह मुलाकात न केवल गंभीर वार्ता के लिए जानी जाएगी, बल्कि इसमें एक मजेदार वाकया भी सामने आया। जब राष्ट्रपति पुतिन ने मजाक में कहा कि “हमारे संबंध इतने घनिष्ठ हैं कि मेरी बातों को समझने के लिए आपको ट्रांसलेशन की भी जरूरत नहीं है,” इस पर पीएम मोदी जोर से हंस पड़े। पुतिन लगातार बोलते जा रहे थे, और उनके ट्रांसलेटर को ट्रांसलेशन का मौका नहीं मिल पा रहा था। जैसे ही पुतिन को यह अहसास हुआ, उन्होंने यह बात मजाक में कही और इसके बाद दोनों नेताओं के बीच हंसी का माहौल बन गया।

BRICS समिट में भारत की भागीदारी हमेशा से महत्वपूर्ण रही है। चाहे आर्थिक विकास हो या वैश्विक राजनीति, भारत ने हमेशा से विकासशील देशों की आवाज़ उठाई है। प्रधानमंत्री मोदी का इस समिट में हिस्सा लेना न केवल भारत-रूस संबंधों को और मजबूत बनाता है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की भूमिका को भी और प्रभावी बनाता है। इस बार की समिट में खासकर आर्थिक सुधारों, व्यापारिक सहयोग और वैश्विक चुनौतियों पर ध्यान दिया जा रहा है, जिसमें भारत की भागीदारी अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

भारत और रूस के ऐतिहासिक संबंध

भारत और रूस के बीच दशकों से चले आ रहे मजबूत संबंध किसी से छिपे नहीं हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार, रक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की एक लंबी परंपरा रही है। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात इस बात की पुष्टि करती है कि इन संबंधों में और मजबूती आई है। दोनों देशों के बीच के ये संबंध न केवल आपसी विश्वास और सहयोग पर आधारित हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी यह दोनों देशों को एक दूसरे के नजदीक लाते हैं।

रूस-यूक्रेन संघर्ष के संदर्भ में, प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी संकेत दिया कि भारत शांति स्थापना में मध्यस्थता करने के लिए तैयार है। भारत हमेशा से शांतिपूर्ण संवाद का पक्षधर रहा है और इस संकट को भी शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के पक्ष में है। उनका कहना था कि शांति और स्थिरता की बहाली के लिए भारत हर संभव प्रयास करेगा। इसके अलावा, भारत ने बार-बार अपने रुख को स्पष्ट किया है कि वह मानवता और वैश्विक स्थिरता के पक्ष में खड़ा है।

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कज़ान में भारतीय प्रवासियों की मुलाकात

कज़ान में भारतीय प्रवासियों ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की, जो उनके लिए गर्व का क्षण था। भारतीय प्रवासी, जो दुनिया के हर कोने में अपनी पहचान बना रहे हैं, ने इस मौके पर अपनी सांस्कृतिक धरोहर को दिखाने का मौका भी नहीं छोड़ा। कृष्ण भजन और भारतीय नृत्य ने कज़ान की फिजाओं में भारतीयता की महक बिखेर दी। प्रधानमंत्री मोदी ने प्रवासियों से मुलाकात करते हुए उनकी उपलब्धियों की सराहना की और उन्हें भारत की विकास यात्रा का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित किया।

प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा न केवल BRICS समिट में भाग लेने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वैश्विक शांति और स्थिरता के प्रयासों का भी एक हिस्सा है। उनके इस दौरे से यह स्पष्ट है कि भारत विश्व मंच पर शांति और सहयोग की दिशा में अपने प्रयास जारी रखेगा। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच की इस मुलाकात से दोनों देशों के बीच के संबंध और भी मजबूत होंगे और यह वैश्विक राजनीति में एक नई दिशा देगा।

BRICS समिट 2024: कज़ान में पीएम मोदी का स्वागत और रूस-यूक्रेन युद्ध पर चर्चा
Source-PM MODI (X-account)

BRICS समिट में भारत की नीतियां और विश्वव्यापी प्रभाव

भारत ने BRICS मंच का उपयोग करते हुए हमेशा से विकासशील देशों की आवाज को प्रमुखता दी है। प्रधानमंत्री मोदी ने समिट में यह संदेश दिया कि भारत अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने सहयोगी देशों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत की यह नीति न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देती है, बल्कि वैश्विक शांति और सुरक्षा की दिशा में भी एक मजबूत कदम है। BRICS समिट में भारत की सक्रिय भागीदारी से यह साफ होता है कि भारत वैश्विक समस्याओं के समाधान में एक प्रमुख भूमिका निभाना चाहता है।

प्रधानमंत्री मोदी का रूस दौरा न केवल द्विपक्षीय वार्ता और BRICS समिट तक सीमित है, बल्कि यह भारत-रूस की मित्रता को एक नई ऊंचाई पर ले जाने का अवसर भी है। भारतीय और रूसी नागरिकों के बीच का सांस्कृतिक आदान-प्रदान इस बात का प्रमाण है कि दोनों देशों के बीच की दोस्ती कितनी गहरी और पुरानी है। कृष्ण भजन और भारतीय नृत्य ने कज़ान में भारतीयता की छवि को और भी मजबूत किया, जिससे रूस और भारत के लोगों के बीच की दोस्ती और भी प्रगाढ़ हुई।

रूस और भारत: सामरिक साझेदारी का भविष्य

रूस और भारत के बीच सामरिक साझेदारी हमेशा से वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण रही है। दोनों देशों ने हमेशा से एक-दूसरे के साथ व्यापार, रक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग किया है। प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे से यह स्पष्ट होता है कि दोनों देशों के बीच का यह संबंध भविष्य में और भी मजबूत होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रूस दौरा केवल BRICS समिट में भागीदारी तक सीमित नहीं था, बल्कि यह वैश्विक शांति और स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी था। रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में भारत की शांति स्थापना की कोशिशें और रूस के साथ द्विपक्षीय संबंधों का यह नया अध्याय वैश्विक राजनीति में एक नई दिशा तय करेगा।

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