LAC पर भारत और चीन के बीच पेट्रोलिंग का नया समझौता
भारत और चीन के बीच पेट्रोलिंग पर बनी सहमति
भारत और चीन के बीच हाल ही में एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है, जो वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के देपसांग और डेमचोक इलाकों में पेट्रोलिंग को लेकर है। यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब दोनों देशों के बीच पिछले कुछ सालों से सीमा पर तनाव बना हुआ है। 2020 में पूर्वी लद्दाख में शुरू हुए तनाव के बाद से दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने थे, लेकिन इस नए समझौते के बाद दोनों देशों के सैनिकों के पीछे हटने और पेट्रोलिंग की शुरुआत से उम्मीद है कि स्थिति सामान्य हो जाएगी ।
संघर्ष के बिंदुओं पर डिसइंगेजमेंट (Disengagement)
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इस समझौते के बारे में जानकारी दी और कहा कि देपसांग और डेमचोक जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में पेट्रोलिंग की शुरुआत हो चुकी है। इसके साथ ही जल्द ही सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी, जिसे मिलिट्री टर्म में ‘डिसइंगेजमेंट’ कहा जाता है। यह समझौता सीमा पर तनाव कम करने और दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास को बहाल करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
BRICS शिखर सम्मेलन से पहले महत्वपूर्ण घटनाक्रम
यह समझौता 22-23 अक्टूबर को होने वाले 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से ठीक पहले हुआ है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस यात्रा करेंगे। इस शिखर सम्मेलन के इतर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच द्विपक्षीय वार्ता की संभावना भी जताई जा रही है। विक्रम मिस्री ने कहा कि एलएसी पर मुद्दों को सुलझाने के लिए लगातार राजनयिक और सैन्य वार्ता चल रही है और यह समझौता उसी का परिणाम है।
पेट्रोलिंग की व्यवस्था और तनाव का समाधान
समझौते के तहत, पेट्रोलिंग की व्यवस्था को लेकर बनी सहमति से पूर्वी लद्दाख में उत्पन्न हुए तनाव का धीरे-धीरे समाधान हो रहा है। दोनों देशों ने पेट्रोलिंग की व्यवस्था को बहाल करने का निर्णय लिया है, जिससे LAC पर शांति और स्थिरता की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति होगी। यह कदम दोनों देशों के बीच एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है, जिससे तनाव कम होने की उम्मीद जताई जा रही है।
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गलवान घाटी का इतिहास और तनाव की शुरुआत
2020 में गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद से भारत और चीन के संबंधों में खटास आ गई थी। उस झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे, जबकि चीन की तरफ से भी कई सैनिक मारे गए थे। हालांकि, चीन ने अपने सैनिकों के नुकसान के बारे में कोई आधिकारिक आंकड़े जारी नहीं किए थे। इस घटना के बाद से ही दोनों देशों के बीच कई बार वार्ता हुई, लेकिन सीमा पर तनाव बना रहा।
समझौते के प्रभाव: भविष्य की उम्मीदें
इस नए समझौते के बाद उम्मीद की जा रही है कि LAC पर हालात सामान्य होंगे और दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार आएगा। पेट्रोलिंग की शुरुआत और सैनिकों के पीछे हटने से यह संकेत मिलता है कि दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली का प्रयास जारी है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि यह समझौता कितना प्रभावी साबित होगा और क्या इससे सीमा पर पूरी तरह से स्थिरता बहाल हो पाएगी।
राजनयिक और सैन्य वार्ता का महत्वपूर्ण चरण
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि भारतीय और चीनी वार्ताकार पिछले कुछ हफ्तों से लगातार संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि इस समझौते के बाद LAC पर शेष मुद्दों को सुलझाने की दिशा में और भी वार्ता होगी। दोनों देशों के बीच राजनयिक और सैन्य स्तर पर हो रही यह वार्ता एक सकारात्मक कदम के रूप में देखी जा रही है, जिससे भविष्य में और भी समझौतों की उम्मीद की जा रही है।
देपसांग और डेमचोक: रणनीतिक महत्व
देपसांग और डेमचोक इलाके रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण हैं, और इन क्षेत्रों में पेट्रोलिंग बहाल होना भारत और चीन दोनों के लिए एक बड़ा कदम है। ये क्षेत्र लद्दाख के सुदूर इलाकों में स्थित हैं और यहां तनाव के चलते दोनों देशों के सैनिक लंबे समय से आमने-सामने थे। इस समझौते के बाद इन क्षेत्रों में शांति और स्थिरता की उम्मीद की जा रही है, जो दोनों देशों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग की संभावित वार्ता
इस घटनाक्रम के बाद, यह देखना दिलचस्प होगा कि BRICS शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच कोई द्विपक्षीय वार्ता होती है या नहीं। दोनों देशों के बीच पिछले कुछ सालों से चल रही कूटनीतिक और सैन्य वार्ताओं के मद्देनजर यह मुलाकात महत्वपूर्ण हो सकती है। यदि यह वार्ता होती है, तो सीमा पर तनाव कम करने की दिशा में और भी महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं।
भारतीय सेना की तैयारियां और आगे का रास्ता
हालांकि समझौते के बाद सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, लेकिन भारतीय सेना अभी भी सीमा पर अपनी सतर्कता बनाए रखेगी। पेट्रोलिंग बहाल होने के बावजूद, दोनों देशों के बीच विश्वास की बहाली में समय लग सकता है। भारतीय सेना के अधिकारी लगातार स्थिति पर नजर रख रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि सीमा पर किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति न पैदा हो।
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निष्कर्ष: भारत-चीन संबंधों में नई शुरुआत?
भारत और चीन के बीच यह नया समझौता सीमा पर तनाव कम करने और आपसी विश्वास बहाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, इस समझौते की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि दोनों देश इसे कितनी गंभीरता से अमल में लाते हैं और सीमा पर शांति बहाल करने के लिए कितनी तत्परता दिखाते हैं। आने वाले हफ्तों में BRICS शिखर सम्मेलन और संभावित द्विपक्षीय वार्ता पर भी सभी की नजरें टिकी रहेंगी, जो इस समझौते के प्रभाव को और स्पष्ट करेंगी।