प्रधानमंत्री मोदी और स्पेनिश प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज़ ने वडोदरा में भारत के पहले निजी सैन्य विमान संयंत्र का उद्घाटन किया। यह परियोजना C-295 विमानों के स्थानीय निर्माण, रक्षा उद्योग में आत्मनिर्भरता और विदेशी निवेश को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। जानिए भारत-एयरबस की इस ऐतिहासिक डील का सामरिक और आर्थिक महत्व।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके स्पेनिश समकक्ष पेड्रो सांचेज़ ने हाल ही में भारत के पहले निजी सैन्य विमान संयंत्र का उद्घाटन किया, जो भारत की रक्षा और एयरोस्पेस उद्योग में स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। सांचेज़ को भारत में भव्य स्वागत के साथ लाया गया था, जिसमें फूलों से सजे खुले वाहनों की परेड भी शामिल थी। इस परियोजना के माध्यम से स्पेन भी भारत में निवेश बढ़ाने की दिशा में सक्रियता दिखा रहा है, जो कि विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुकी है।
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भारत-एयरबस की डील: क्या है C-295 विमान योजना?
भारत के रक्षा मंत्रालय ने 2021 में एयरबस डिफेंस और स्पेस के साथ 2.5 बिलियन डॉलर की डील की थी, जिसके तहत कुल 56 C-295 विमानों की आपूर्ति की जानी है। इनमें से 16 विमानों का निर्माण स्पेन के सेविल में हो चुका है और उन्हें पहले ही भारत में भेज दिया गया है। बाकी 40 विमानों का निर्माण भारत के वडोदरा स्थित संयंत्र में किया जाएगा, जिसमें से पहला विमान 2026 में तैयार होने की उम्मीद है।
C-295 विमान का निर्माण इसलिए अहम है क्योंकि यह एक बहुउद्देश्यीय विमान है जो 71 सैनिकों या 50 पैराट्रूपर्स को एक साथ ले जाने में सक्षम है। इसकी खासियत है कि यह विमान दुर्गम क्षेत्रों में भी पहुंच सकता है, जो भारत के सुरक्षा परिदृश्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह आपातकालीन चिकित्सा निकासी, आपदा प्रतिक्रिया, और समुद्री गश्त जैसे कार्यों में भी काम आएगा।
भारतीय एयरोस्पेस उद्योग को मिल रहा है बड़ा समर्थन
इस संयंत्र के जरिए भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। ‘मेक इन इंडिया’ के तहत सैन्य और एयरोस्पेस क्षेत्र में विदेशी निवेश को आकर्षित करना और उत्पादन की तकनीक को भारत में स्थानांतरित करना प्रमुख उद्देश्य हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की रक्षा बाजार में करीब 22 बिलियन डॉलर का योगदान है, जिसमें से अधिकांश अभी तक आयातित होता है। ऐसे में स्थानीय उत्पादन के जरिए भारत रक्षा उद्योग में आत्मनिर्भरता हासिल कर सकता है।
संयंत्र की अनुमानित आर्थिक और सुरक्षा लाभ
इस संयंत्र से भारतीय अर्थव्यवस्था को भी फायदा पहुंचेगा। स्थानीय स्तर पर निर्माण होने से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और भारतीय इंजीनियरों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की तकनीक पर काम करने का अनुभव मिलेगा। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह की पहल से भारत में तकनीकी कौशल का भी विकास होगा और अन्य देशों के साथ तकनीकी समझौतों का रास्ता खुलेगा।
भारत में निजी सैन्य विमान संयंत्र स्थापित होने के बाद न केवल विदेशी निवेश बढ़ेगा, बल्कि घरेलू स्तर पर उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी। भारत की योजना 2030 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की है और ऐसे प्रयास उसे रक्षा और एयरोस्पेस उद्योग में प्रमुख भूमिका निभाने के लिए मजबूत आधार प्रदान करेंगे।
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क्षेत्रीय सुरक्षा और सामरिक महत्व
भारत के लिए यह कदम सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह कदम भारत को दक्षिण एशिया में एक मजबूत रक्षा उत्पादन आधार के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा। इसके अलावा, C-295 विमान की क्षमता दुर्गम और संवेदनशील इलाकों तक पहुंचने की है, जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में निगरानी और सुरक्षा में सुधार होगा।
इस प्रकार, वडोदरा संयंत्र का उद्घाटन न केवल भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देता है बल्कि इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक उभरती हुई रक्षा उत्पादन शक्ति के रूप में भी स्थापित करता है।
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