India missile legacy- मिसाइलों से कूटनीति तक: ऑपरेशन सिंदूर का वो सच जो दुनिया ने देखा

India missile legacy –  जब बात देश की सुरक्षा की आती है, तो भारत ने हमेशा दिखाया है कि वो ना सिर्फ अपनी सरहदों की हिफाजत करना जानता है, बल्कि आतंक के आकाओं को उनके घर में घुसकर सबक सिखाने में भी माहिर है। 7 मई 2025 को शुरू हुआ ऑपरेशन सिंदूर इसका ताजा उदाहरण है। इस ऑपरेशन ने ना सिर्फ पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद किया, बल्कि दुनिया को भारत की सैन्य ताकत और कूटनीतिक चालबाजी का लोहा भी मनवाया। आइए, इस ऑपरेशन की कहानी को फौजी और आम आदमी के नजरिए से समझते हैं, और देखते हैं कि कैसे इसने 10 मई के सीजफायर और 15 मई को पाकिस्तानी एयर बेस की पोल खोलने में अहम रोल अदा किया।

ऑपरेशन सिंदूर: आतंक के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक 3.0

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। लश्कर-ए-तैयबा की छत्रछाया में पलने वाली द रेसिस्टेंस फ्रंट ने 26 लोगों, ज्यादातर हिंदू पर्यटकों, को मौत के घाट उतार दिया। इस हमले ने भारत को करारा जवाब देने के लिए मजबूर किया। जवाब में, भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया, जिसका नाम उन महिलाओं के सम्मान में रखा गया, जिन्होंने पहलगाम हमले में अपने पतियों को खोया।

7 मई की रात, भारतीय वायु सेना ने सिर्फ 25 मिनट में 24 मिसाइल हमले किए। निशाने पर थे पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में मौजूद 9 आतंकी ठिकाने। इनमें लश्कर-ए-तैयबा का मुरिदके कैंप, जैश-ए-मोहम्मद का बहावलपुर बेस, और हिजबुल मुजाहिदीन के कई अड्डे शामिल थे। भारतीय सेना ने दावा किया कि इन हमलों में 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए, जिनमें IC-814 हाइजैकिंग और पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड जैसे हाई-प्रोफाइल आतंकी भी शामिल थे।

फौजी नजरिया: सटीकता और ताकत का प्रदर्शन

भारतीय सेना के लिए ऑपरेशन सिंदूर एक मास्टरस्ट्रोक था। ब्रह्मोस और SCALP जैसी अत्याधुनिक मिसाइलों का इस्तेमाल, राफेल फाइटर जेट्स की तैनाती, और सर्जिकल स्ट्राइक की सटीकता ने दिखाया कि भारत अब पहले से कहीं ज्यादा तैयार और ताकतवर है। वायु सेना के डीजी ऑपरेशंस, एयर मार्शल एके भारती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया, “हमने आतंकी ठिकानों को पिनपॉइंट टारगेट किया, ताकि कोई सिविलियन नुकसान ना हो।”

लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई में ड्रोन और मिसाइल हमले शुरू किए, जिसे भारत ने अपनी S-400 डिफेंस सिस्टम से नाकाम कर दिया। 9-10 मई की रात, भारत ने पाकिस्तान के 11 एयर बेस, जैसे रफीकी, सियालकोट, और भोलारी, पर हमले किए। इन हमलों ने पाकिस्तानी वायु सेना की 20% इन्फ्रास्ट्रक्चर को तबाह कर दिया। फौजियों का कहना है कि ये ऑपरेशन ना सिर्फ आतंकियों के लिए सबक था, बल्कि पाकिस्तानी सेना को भी साफ संदेश दे गया कि भारत अब चुप नहीं बैठेगा।

आम आदमी का नजरिया: गर्व के साथ डर का माहौल

पहलगाम हमले के बाद देश में गुस्सा था। लोग सड़कों पर उतर आए, सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे थे। जब ऑपरेशन सिंदूर की खबर आई, तो हर हिंदुस्तानी का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। सोशल मीडिया पर #JaiHind और #OperationSindoor ट्रेंड करने लगा। लोग कहने लगे, “अबकी बार, घर में घुसकर मारा!”

लेकिन सीमा पर रहने वाले लोगों के लिए ये वक्त डरावना भी था। पाकिस्तान के जवाबी हमलों में जम्मू-कश्मीर और पंजाब के कई गांवों में गोले बरसे। 16 सिविलियन्स की मौत और कई घर तबाह हो गए। श्रीनगर में डल झील में मिसाइल जैसे ऑब्जेक्ट गिरने की खबर ने लोगों को और डरा दिया। अमृतसर और जयपुर जैसे शहरों में ब्लैकआउट और सायरन की आवाजें आम हो गईं। आम आदमी की जुबान में, “हमारी फौज ने तो कमाल कर दिया, लेकिन ये जंग का डर भी कम नहीं।”

10 मई का सीजफायर: कूटनीति की जीत या मजबूरी?

चार दिन की ताबड़तोड़ जंग के बाद, 10 मई को भारत और पाकिस्तान ने सीजफायर का ऐलान किया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इसे अपनी मध्यस्थता का नतीजा बताया, लेकिन भारत ने साफ किया कि ये दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच सीधी बातचीत का परिणाम था। लेकिन सीजफायर ज्यादा देर नहीं टिका। कुछ ही घंटों बाद, पाकिस्तान ने LoC पर गोलीबारी शुरू कर दी, जिसका भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया।
सीजफायर के पीछे भारत की सैन्य दबाव की बड़ी भूमिका थी। पाकिस्तानी एयर बेस पर हमलों ने इस्लामाबाद को बैकफुट पर ला दिया। जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान को अहसास हो गया कि भारत अब पहले की तरह सिर्फ चेतावनी नहीं देगा, बल्कि सीधे एक्शन लेगा।

15 मई: पाकिस्तानी एयर बेस की पोल खुली

15 मई को भारतीय सेना ने सैटेलाइट इमेज जारी कीं, जिनमें पाकिस्तानी एयर बेस की तबाही साफ दिख रही थी। नूर खान, रफीकी, और सियालकोट जैसे बेस में बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ। इन तस्वीरों ने ना सिर्फ पाकिस्तान की सैन्य कमजोरी को उजागर किया, बल्कि भारत की खुफिया और सैन्य ताकत को भी दुनिया के सामने लाया। आम लोगों में चर्चा थी, “पाकिस्तान को तो अब समझ आ गया होगा कि भारत से पंगा लेना कितना भारी पड़ सकता है।”

कूटनीतिक आक्रामकता: दुनिया को भारत का पक्ष

ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ सैन्य कार्रवाई तक सीमित नहीं रहा। भारत ने कूटनीतिक मोर्चे पर भी जबरदस्त खेल खेला। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 8 मई को UNSC के 13 सदस्य देशों को ब्र्रीफिंग दी, जिसमें पहलगाम हमले के लिए पाकिस्तान की भूमिका को उजागर किया गया। भारत ने साफ किया कि ये हमले आतंक के खिलाफ थे, और पाकिस्तानी सेना को टारगेट नहीं किया गया।

भारत ने इंडस वॉटर्स ट्रीटी को सस्पेंड करने का फैसला भी लिया, जो पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका था। दुनिया भर में भारत की इस आक्रामक कूटनीति को सराहा गया। न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा, “भारत ने आतंक के खिलाफ नया डिटरेंस लेवल सेट किया है।”
ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की ताकत तो दिखाई, लेकिन कई सवाल भी खड़े किए। पाकिस्तान की ओर से डिसइन्फॉर्मेशन कैंपेन और सिविलियन इलाकों पर हमले की कोशिशें दिखाती हैं कि वो अब भी प्रॉक्सी वॉर से बाज नहीं आएगा। भारत को अब अपनी साइबर डिफेंस और इंटेलिजेंस को और मजबूत करना होगा।
आम आदमी के लिए, ये ऑपरेशन गर्व का पल है, लेकिन सीमा पर रहने वालों के लिए जंग का डर हमेशा बना रहता है। सरकार को चाहिए कि वो बॉर्डर इलाकों में सिविलियन्स की सुरक्षा के लिए और पुख्ता इंतजाम करे।

भारत का नया रुख

ऑपरेशन सिंदूर ने साबित किया कि भारत अब आतंक के खिलाफ सिर्फ बातें नहीं करता, बल्कि सीधे एक्शन लेता है। 10 मई का सीजफायर और 15 मई को एयर बेस की तबाही ने पाकिस्तान को साफ संदेश दे दिया कि भारत से टकराव की कीमत भारी होगी। सैन्य ताकत, कूटनीतिक चालबाजी, और जनता का समर्थन—ये तीनों मिलकर भारत को एक नई ऊंचाई पर ले गए। जैसा कि एक रिटायर्ड फौजी ने कहा, “ये नया भारत है, जो दुश्मन के घर में घुसकर हिसाब बराबर करता है।”

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