India-Pakistan – क्या पाकिस्तान 9 मई का इंतजार कर रहा है ? ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान पर टिकी निगाहें

India-Pakistan – भारत ने जब से “ऑपरेशन सिंदूर” को अंजाम दिया, तब से पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में हड़कंप मचा हुआ है। 7 मई की रात को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के अड्डे तबाह हो गए। इस ऑपरेशन ने न सिर्फ आतंकियों की कमर तोड़ी, बल्कि पाकिस्तान को भी बैकफुट पर ला दिया। अब हर किसी के दिमाग में एक ही सवाल है – क्या पाकिस्तान पलटवार करेगा? या फिर वो चुपके से कोई और चाल चलने की फिराक में है? जवाब फिलहाल यही लगता है कि पाकिस्तान अभी कुछ नहीं करेगा, क्योंकि उसकी नजरें 9 मई को होने वाली IMF की अहम बैठक पर टिकी हैं। आखिर इस बैठक में पाकिस्तान के लिए क्या दांव पर लगा है, और क्यों पूरी दुनिया की निगाहें इस मुल्क की अगली चाल पर हैं? चलिए, इसे थोड़ा करीब से समझते हैं।

ऑपरेशन सिंदूर: भारत का मास्टरस्ट्रोक

सबसे पहले बात करते हैं ऑपरेशन सिंदूर की। 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे भारत को हिलाकर रख दिया। इस हमले में 26 मासूम लोग मारे गए, जिसमें भारतीय वायुसेना के जवान से लेकर आम नागरिक तक शामिल थे। भारत ने इस हमले को बर्दाश्त नहीं किया और ठीक दो हफ्ते बाद, 7 मई की रात को “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान और पीओके में मौजूद आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। भारतीय वायुसेना ने राफेल, ब्रह्मोस मिसाइल और ड्रोन्स का इस्तेमाल करके 25 मिनट के भीतर 9 आतंकी कैंप्स को नेस्तनाबूद कर दिया। खास बात ये कि इस ऑपरेशन में कोई भी पाकिस्तानी सैन्य ठिकाना निशाना नहीं बना, जिससे भारत ने साफ कर दिया कि उसका टारगेट सिर्फ आतंकवाद है, न कि युद्ध शुरू करना।

इस ऑपरेशन ने पाकिस्तान को सकते में डाल दिया। जहां एक तरफ भारतीय सेना ने अपनी ताकत दिखाई, वहीं दूसरी तरफ भारत ने कूटनीतिक मोर्चे पर भी पाकिस्तान को घेरना शुरू कर दिया। भारत ने IMF और दूसरी वैश्विक वित्तीय संस्थाओं से पाकिस्तान को मिलने वाले कर्ज की समीक्षा करने की मांग उठाई, जिससे इस्लामाबाद में हड़कंप मच गया।

9 मई की IMF बैठक: पाकिस्तान की लाइफलाइन

अब आते हैं उस सवाल पर कि पाकिस्तान 9 मई का इंतजार क्यों कर रहा है? दरअसल, 9 मई को IMF की एक अहम बैठक होने वाली है, जिसमें पाकिस्तान को 1.3 बिलियन डॉलर के “क्लाइमेट रेजिलियंस लोन” और 7 बिलियन डॉलर के बेलआउट पैकेज की दूसरी किश्त मिलने पर फैसला होगा। ये पैसा पाकिस्तान की कंगाल अर्थव्यवस्था के लिए किसी लाइफलाइन से कम नहीं है। अगर ये किश्त अटक गई, तो पाकिस्तान का स्टॉक मार्केट, जो पहले ही ऑपरेशन सिंदूर के बाद 6,500 अंकों की गिरावट झेल चुका है, और भी बुरी तरह लुढ़क सकता है।

पाकिस्तान की हालत इस वक्त ऐसी है कि उसे हर मोर्चे पर पैसों की सख्त जरूरत है। चाहे वो सेना का खर्चा हो, आतंकी संगठनों को फंडिंग हो, या फिर आम जनता के लिए बिजली-पानी का इंतजाम। बिना IMF के पैसे के पाकिस्तान की सरकार के लिए अपने ही देश को चलाना मुश्किल हो जाएगा। यही वजह है कि शहबाज शरीफ और जनरल असीम मुनीर इस वक्त चुप्पी साधे हुए हैं। वो जानते हैं कि अगर अभी कोई पलटवार किया, तो IMF की बैठक में उनकी फजीहत हो सकती है, और कर्ज की किश्त रुक सकती है।

पलटवार क्यों नहीं कर रहा पाकिस्तान?

ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की तरफ से जो बयान आए, वो हैरान करने वाले थे। जहां पहले पाकिस्तानी नेता और सेना भारत को गीदड़भभकी देते रहते थे, वहीं अब उनके सुर बदल गए हैं। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक इंटरव्यू में कहा, “अगर भारत तनाव नहीं बढ़ाता, तो हम भी कोई जवाबी कार्रवाई नहीं करेंगे।” यही नहीं, शहबाज शरीफ के सलाहकार राणा सनाउल्लाह ने भी कहा कि पाकिस्तान “जिम्मेदार राष्ट्र” है और वो तब तक कुछ नहीं करेगा, जब तक भारत की तरफ से आक्रामकता न दिखे।

तो क्या पाकिस्तान डर गया है? या फिर ये उसकी कोई चाल है? जानकारों की मानें, तो इसके पीछे चार बड़े कारण हैं:

  1. आर्थिक तंगी: पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले ही ICU में है। IMF का कर्ज न मिला, तो देश डिफॉल्ट की कगार पर पहुंच सकता है। ऐसे में युद्ध या पलटवार का खर्चा उठाना पाकिस्तान के बस की बात नहीं।

  2. कूटनीतिक दबाव: भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद कई देशों, खासकर UNSC के सदस्यों, को इसकी जानकारी दी और अपना पक्ष रखा। इससे पाकिस्तान वैश्विक मंच पर अलग-थलग पड़ गया। अगर वो अब पलटवार करता है, तो उसे अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिलने की उम्मीद कम है।

  3. सैन्य कमजोरी: ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान का HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम पूरी तरह फेल हो गया। भारतीय मिसाइलों ने इसे चकमा देकर सटीक निशाने लगाए, जिससे पाकिस्तानी सेना की कमजोरी उजागर हो गई। ऐसे में भारत से सीधा टकराव उनके लिए भारी पड़ सकता है।

  4. IMF की तलवार: 9 मई की बैठक में अगर पाकिस्तान ने कोई गलत कदम उठाया, तो भारत का दबाव काम कर सकता है, और IMF कर्ज देने से मना कर सकता है।

क्या 9 मई के बाद बदलेगा खेल ?

अब सवाल ये है कि क्या 9 मई के बाद पाकिस्तान कोई चाल चलेगा? जानकारों का मानना है कि अगर IMF से कर्ज की किश्त मिल जाती है, तो पाकिस्तान थोड़ा बोल्ड हो सकता है। लेकिन ये इतना आसान नहीं होगा। भारत ने साफ कर दिया है कि अगर पाकिस्तान ने कोई हिमाकत की, तो उसका जवाब और भी सख्त होगा। NSA अजीत डोभाल ने तो खुलकर कह दिया, “अगर कुछ किया, तो हिंदुस्तान मजबूती से जवाब देगा।”

वहीं, पाकिस्तान की सेना ने भी ऑपरेशन सिंदूर के बाद LoC पर कुछ गोलाबारी की, लेकिन वो ज्यादा असरदार नहीं थी। पाकिस्तानी मीडिया और नेताओं ने इसे भारत की “आक्रामकता” करार दिया, लेकिन उनकी बातों में वो दम नहीं दिखा, जो पहले होता था। शहबाज शरीफ ने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक बुलाकर भारत के हमले को “संप्रभुता का उल्लंघन” बताया, लेकिन इसके आगे वो ज्यादा कुछ कर नहीं पाए।

भारत की रणनीति: सैन्य और कूटनीतिक दोहरा दांव

भारत की रणनीति इस बार सिर्फ सैन्य कार्रवाई तक सीमित नहीं रही। ऑपरेशन सिंदूर के साथ-साथ भारत ने वैश्विक मंच पर भी पाकिस्तान को घेरने का काम किया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कई देशों के अपने समकक्ष मंत्रियों से बात की और ऑपरेशन की जानकारी दी। भारत ने साफ कर दिया कि ये कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ थी, और इसमें किसी भी देश की सेना को निशाना नहीं बनाया गया।

इसके अलावा, भारत ने IMF से कर्ज की समीक्षा की मांग करके पाकिस्तान की नींद उड़ा दी। ये कदम इसलिए अहम है, क्योंकि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा विदेशी कर्ज पर टिका है। अगर IMF ने कर्ज देने में आनाकानी की, तो पाकिस्तान के लिए अपने आतंकी नेटवर्क को चलाना भी मुश्किल हो जाएगा।

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जनता का मूड और भविष्य की संभावनाएं

भारत में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर जनता का मूड पूरी तरह से सरकार और सेना के साथ है। पहलगाम हमले के बाद लोगों में गुस्सा था, और इस ऑपरेशन ने उस गुस्से को कुछ हद तक शांत किया। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने भी इस कार्रवाई का समर्थन किया है। वहीं, पाकिस्तान में आम जनता और मीडिया भारत के खिलाफ बयानबाजी तो कर रहे हैं, लेकिन उनकी सरकार और सेना की चुप्पी साफ बता रही है कि वो अभी कोई बड़ा रिस्क लेने के मूड में नहीं हैं।

भविष्य में क्या होगा, ये 9 मई की IMF बैठक के नतीजे पर काफी हद तक निर्भर करेगा। अगर पाकिस्तान को कर्ज मिल जाता है, तो वो शायद कुछ छोटी-मोटी हरकतें कर सकता है, जैसे LoC पर गोलाबारी या आतंकी घुसपैठ। लेकिन भारत की सख्ती और वैश्विक दबाव को देखते हुए बड़े पलटवार की संभावना कम ही दिखती है।

फिलहाल, पाकिस्तान 9 मई का इंतजार कर रहा है, क्योंकि उसकी सारी उम्मीदें IMF की किश्त पर टिकी हैं। ऑपरेशन सिंदूर ने न सिर्फ उसके आतंकी ठिकानों को तबाह किया, बल्कि उसकी कूटनीतिक और आर्थिक कमजोरियों को भी बेनकाब कर दिया। भारत ने इस बार सैन्य और कूटनीतिक दोनों मोर्चों पर ऐसा दांव चला है, जिससे पाकिस्तान चारों खाने चित है। अब देखना ये है कि 9 मई के बाद पाकिस्तान क्या रुख अपनाता है। लेकिन एक बात तो साफ है – भारत अब न तो चुप बैठेगा, न ही आतंकवाद को बर्दाश्त करेगा।

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