ईरान-इजराइल संघर्ष: क्या मध्य पूर्व में फिर से भड़केगा तनाव?

ईरान-इजराइल युद्ध: 25 दिन बाद इजरायल ने बदला लिया, आगे क्या होगा?
ईरानइजराइल संघर्ष  मध्य पूर्व में एक बार फिर चर्चा में है। दोनों देशों के बीच संघर्ष पिछले कुछ समय से और भी गंभीर हो गया है, क्योंकि राजनीतिक और सैन्य तनाव बढ़ा है। हाल ही में ईरान ने 1 अक्टूबर को किए गए हमले का जवाब देते हुए इजराइल ने 26 अक्टूबर को पलटवार किया, जिसमें 10 महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया। इस लेख में हम इस लड़ाई की उत्पत्ति, वर्तमान हालात और इसके संभावित परिणामों को देखेंगे।

ईरान-इजराइल संघर्ष: ईरान और इजराइल के बीच पुराना संघर्ष है। राजनीतिक और धार्मिक मतभेदों के कारण दोनों देशों में दशकों पुरानी दुश्मनी है। ईरान और इजराइल में भी क्षेत्रीय प्रभुत्व की होड़ चल रही है, जो दोनों देशों के संबंधों को और खराब कर रहा है। जबकि इजराइल फिलिस्तीन का समर्थन करता है, ईरान भी फिलिस्तीन की सुरक्षा के लिए दृढ़ है। 1980 के दशक से लेकर अब तक, ईरान ने लेबनान में हिज़्बुल्लाह और गाजा में हमास जैसे समूहों को समर्थन दिया है, जो इजराइल के लिए खतरा माने जाते हैं।

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1 अक्टूबर को ईरान का हमला

1 अक्टूबर 2024 को, ईरान ने इजराइल पर हमला करके उसकी सैन्य रणनीति को कमजोर करना चाहा। इस हमले ने इजराइल के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया, जिससे दोनों देशों में तनाव बढ़ा। लेकिन इजराइल ने इस हमले को एक बड़ी चुनौती के रूप में देखा और प्रतिक्रिया देने का संकेत दिया।

इजराइल का जवाबी हमला – 26 अक्टूबर 2024

25 दिन बाद, 26 अक्टूबर को इजराइली डिफेंस फोर्स (IDF) ने ईरान पर प्रतिक्रिया दी। Исराइल ने तेहरान, खुजेस्तान और इलाम में ईरान की दस महत्वपूर्ण सैन्य जगहों पर हमला किया। इजराइली सेना का कहना है कि इस हमले में उनके विमानों ने सभी लक्ष्यों को सफलतापूर्वक निशाना बनाया और सुरक्षित वापस लौट आए बिना किसी नुकसान के। IDF ने कहा कि यह हमला बहुत सोच-समझकर किया गया था और ईरान की सैन्य क्षमता को कमजोर करना था।

ईरान का बयान: “जवाब देने का अधिकार”

ईरान ने इस हमले की निंदा की और कहा कि उसे अपनी सुरक्षा के लिए प्रतिक्रिया देने का अधिकार है। ईरान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इस हमले का जवाब निश्चित रूप से दिया जाएगा और इजराइल को इसके परिणाम भुगतने होंगे। ईरान के अधिकारियों का कहना है कि वे इजराइल के खिलाफ कड़े कदम उठाने से पीछे नहीं हटेंगे और अपने देश की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे।

ईरान ने इजराइल पर क्यों किया था हमला?

ईरान ने 1 अक्टूबर को इजराइल पर हमला किया था और देश में 180 से ज्यादा बैलेस्टिक मिसाइल दागी थीं. ईरान ने दावा किया था कि उसने हमास के चीफ और हिजबुल्लाह के प्रमुख की हत्या के बदले में यह अटैक किया था. ईरान के इस हमले के बाद न सिर्फ इजराइल बल्कि अमेरिका भी अलर्ट मोड पर आ गया था. साथ ही जहां एक तरफ देश के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने यह दावा किया था कि ईरान के हमले से इजराइल को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ और सारी मिसाइलों को हवा में ही ढेर कर दिया गया. वहीं, दूसरी तरफ नेतन्याहू ने यह भी कहा था कि ईरान ने बड़ी भूल की है और उसको इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा

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संघर्ष का आगे का रास्ता

ईरान और इजराइल के बीच चल रहे संघर्ष का अंत और अवधि स्पष्ट नहीं है। हालाँकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यह लड़ाई लंबे समय तक चल सकती है। यह बहस अधिक जटिल हो गई है क्योंकि दोनों देशों के बीच गहरी शत्रुता है, क्षेत्रीय प्रभुत्व की होड़ है और एक दूसरे को कमज़ोर करने की रणनीति है।

विश्लेषकों का कहना है कि दोनों देशों के नेताओं को बातचीत करके समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए। यदि यह तनाव जारी रहता है, तो इसका असर पूरी दुनिया पर भी होगा।

ईरान-इजराइल संघर्ष ने मध्य पूर्व में फिर से अस्थिरता पैदा कर दी है, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय चिंतित है। इस लड़ाई से स्पष्ट होता है कि शक्ति प्रदर्शन और क्षेत्रीय प्रभुत्व की होड़ केवल विनाश को जन्म दे सकती हैं। यह जरूरी है कि दोनों देश संयम बरतें और शांति की दिशा में कदम बढ़ाएं, ताकि मध्य पूर्व क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा बनी रहे।

 

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