पुतिन ने किया मोदी का जिक्र: BRICS एंटी-वेस्टर्न नहीं, नॉन-वेस्टर्न है

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने BRICS शिखर सम्मेलन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का किया उल्लेख: ‘BRICS किसी के खिलाफ नहीं है

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने BRICS शिखर सम्मेलन से पहले एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उल्लेख करते हुए कहा, “BRICS किसी के खिलाफ नहीं है। भारतीय प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) ने कहा कि BRICS एक एंटी-वेस्टर्न समूह नहीं है, यह एक नॉन-वेस्टर्न समूह है। BRICS वेस्ट के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह पश्चिमी नहीं है।” इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कई नई बहसों को जन्म दिया है। पुतिन के इस बयान के पीछे की मंशा और BRICS की भूमिका पर गहन चर्चा की जरूरत है।

BRICS: नॉन-वेस्टर्न, न कि एंटी-वेस्टर्न

BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) का गठन 2006 में हुआ था, और तब से यह मंच विकासशील देशों के लिए एक महत्वपूर्ण वैश्विक मंच बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि BRICS एक नॉन-वेस्टर्न समूह है, न कि एंटी-वेस्टर्न। इसका मतलब यह है कि BRICS का उद्देश्य पश्चिमी देशों के खिलाफ एकजुट होना नहीं है, बल्कि यह उन देशों का समूह है जो पश्चिमी विश्व की राजनीतिक और आर्थिक धारणाओं से अलग काम करता है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने नरेंद्र मोदी के इस बयान को अपने भाषण में उद्धृत करके यह स्पष्ट किया कि BRICS का उद्देश्य संघर्ष या प्रतियोगिता नहीं, बल्कि समानता और विकास के लिए मिलकर काम करना है।

BRICS की भूमिका: विकासशील देशों की आवाज़

पुतिन और मोदी दोनों ही BRICS को एक ऐसे मंच के रूप में देखते हैं, जो विकासशील देशों की आवाज़ को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठा सकता है। नरेंद्र मोदी का यह कथन कि BRICS एंटी-वेस्टर्न नहीं है, बल्कि नॉन-वेस्टर्न है, इस दिशा में एक स्पष्ट संकेत है कि यह समूह केवल पश्चिमी देशों के वर्चस्व को चुनौती देने के लिए नहीं बना है। बल्कि, BRICS का उद्देश्य वैश्विक विकास और आर्थिक साझेदारी को बढ़ावा देना है, जो पश्चिमी देशों के एजेंडे से भिन्न है। पुतिन ने मोदी के इस विचार को अपना समर्थन देते हुए यह सुनिश्चित किया कि BRICS का फोकस संघर्ष पर नहीं, बल्कि सहयोग पर है।

BRICS शिखर सम्मेलन 2024: नई उम्मीदें

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का यह बयान BRICS  16वां शिखर सम्मेलन 22-23 अक्टूबर, 2024 को रूस के कज़ान में आयोजित किया जाएगा. इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे. , जिससे यह सम्मेलन और भी महत्वपूर्ण हो गया है। BRICS देशों के लिए यह शिखर सम्मेलन एक अवसर है कि वे वैश्विक मंच पर अपनी भूमिका को और मजबूत करें। नरेंद्र मोदी के विचारों के अनुसार, BRICS किसी के खिलाफ नहीं, बल्कि सभी देशों के साथ विकास और सहयोग के लिए काम करने का मंच है। यह विचार विकासशील देशों के लिए एक नई उम्मीद है, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक भू-राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। पुतिन ने मोदी के इस दृष्टिकोण को उधृत करते हुए यह स्पष्ट किया कि BRICS के भविष्य को लेकर सकारात्मकता का माहौल है।

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पुतिन का BRICS और पश्चिमी देशों के साथ संबंधों पर रुख

पुतिन का यह बयान, जहां उन्होंने नरेंद्र मोदी के विचारों को दोहराया, यह भी दर्शाता है कि रूस BRICS के माध्यम से पश्चिमी देशों के साथ सीधे संघर्ष में नहीं जाना चाहता। हालांकि रूस और पश्चिम के बीच के संबंध तनावपूर्ण रहे हैं, लेकिन पुतिन ने यह स्पष्ट किया कि BRICS एक एंटी-वेस्टर्न मंच नहीं है। इसके बजाय, यह एक ऐसा मंच है जो पश्चिमी देशों के अलावा अन्य देशों के विकास पर ध्यान केंद्रित करता है। नरेंद्र मोदी का यह दृष्टिकोण कि BRICS एक नॉन-वेस्टर्न समूह है, पुतिन के लिए भी एक महत्वपूर्ण रणनीतिक दृष्टिकोण बन गया है।

वैश्विक भू-राजनीति में BRICS की बढ़ती भूमिका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचारों पर पुतिन का जोर इस तथ्य को भी दर्शाता है कि BRICS की भूमिका वैश्विक राजनीति में बढ़ रही है। BRICS देशों की आर्थिक और राजनीतिक ताकत लगातार बढ़ रही है, और यह समूह वैश्विक निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में अधिक सक्रिय भूमिका निभा रहा है। मोदी का यह बयान कि BRICS एंटी-वेस्टर्न नहीं है, बल्कि नॉन-वेस्टर्न है, यह बताता है कि BRICS का उद्देश्य वैश्विक राजनीति में संतुलन बनाना है। पुतिन ने मोदी के इस दृष्टिकोण को अपनाकर यह संकेत दिया कि रूस भी BRICS के माध्यम से इस संतुलन को बनाए रखना चाहता है।

BRICS और वैश्विक विकास

रूस और भारत दोनों ही BRICS को वैश्विक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण मंच मानते हैं। नरेंद्र मोदी का यह बयान कि BRICS एक नॉन-वेस्टर्न समूह है, इस बात पर जोर देता है कि BRICS का उद्देश्य केवल पश्चिमी देशों के एजेंडे को चुनौती देना नहीं है, बल्कि सभी देशों के लिए समान विकास के अवसर प्रदान करना है। पुतिन ने मोदी के इस विचार को उधृत करके यह सुनिश्चित किया कि BRICS का फोकस आर्थिक विकास और वैश्विक स्थिरता पर है।

नरेंद्र मोदी और पुतिन के विचार: एक रणनीतिक साझेदारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दोनों ही BRICS को एक महत्वपूर्ण रणनीतिक मंच मानते हैं। पुतिन ने मोदी के विचारों को अपने भाषण में उद्धृत करके यह दिखाया कि दोनों नेताओं के बीच गहरी समझ और सहयोग है। नरेंद्र मोदी का यह विचार कि BRICS एंटी-वेस्टर्न नहीं है, बल्कि नॉन-वेस्टर्न है, पुतिन के लिए भी एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण बन गया है। दोनों नेताओं के विचारों से यह स्पष्ट है कि BRICS का भविष्य सहयोग और विकास के आधार पर बनाया जाएगा, न कि संघर्ष और प्रतियोगिता के।

BRICS का भविष्य: वैश्विक राजनीति में नई धारा

BRICS वैश्विक राजनीति में एक नए युग का प्रतीक है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के समर्थन से स्पष्ट है। BRICS केवल पश्चिमी देशों को चुनौती देना नहीं है; यह एक मंच है जो सभी देशों के विकास और सहयोग के लिए काम करता है। मोदी का यह कहना कि BRICS गैर-पश्चिमी नहीं है, बल्कि गैर-पश्चिमी है, एक महत्वपूर्ण संदेश है। मोदी की दृष्टि को पुतिन ने अपनाकर BRICS का भविष्य उज्ज्वल और सहयोगी होगा।

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BRICs का बढ़ता वैश्विक प्रभाव

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बातों का उल्लेख करते हुए BRICS की बढ़ती भूमिका को उजागर किया। BRICs केवल एक राजनीतिक समूह नहीं है; यह विश्व स्थिरता और विकास का एक महत्वपूर्ण मंच है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि BRICS एंटी-वेस्टर्न नहीं है, बल्कि गैर-वेस्टर्न है। पुतिन ने कहा कि BRICS संघर्ष नहीं बल्कि सहयोग करना चाहता है, जो वैश्विक राजनीति में सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

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