Trump, Russia,New World Order और भारत :बदलती वैश्विक राजनीति का विश्लेषण

अमेरिका ( Trump)  और रूस ( Russia) के बीच का रिश्ता हमेशा से ही दुनिया की राजनीति का एक अहम हिस्सा रहा है। लेकिन जब डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बने, तो उनके रूस की तरफ़ झुकाव ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया। क्या यह झुकाव एक नए वैश्विक व्यवस्था (New World Order) की शुरुआत है? और अगर ऐसा है, तो भारत जैसे देशों पर इसका क्या असर पड़ेगा? आइए, इस मुद्दे को विस्तार से समझते हैं।

ट्रंप और रूस: एक अनोखा रिश्ता

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने राष्ट्रपति काल के दौरान रूस के साथ अच्छे संबंध बनाने की कोशिश की। व्लादिमीर पुतिन के साथ उनकी दोस्ती और रूस की तरफ़ उनका झुकाव कई बार सुर्खियों में रहा। ट्रंप ने कई बार रूस की तारीफ़ की और उनके साथ मिलकर काम करने की बात कही। लेकिन यह रिश्ता सिर्फ दो नेताओं की दोस्ती नहीं था, बल्कि इसके पीछे बड़े राजनीतिक और आर्थिक हित छिपे हुए थे।

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क्या है New World Order?

New World Order यानी नई वैश्विक व्यवस्था, एक ऐसी अवधारणा है जिसमें दुनिया के देश नए तरीके से एक-दूसरे के साथ जुड़ते हैं। इसमें पुराने गठजोड़ और संघर्ष खत्म हो जाते हैं, और नए रिश्ते बनते हैं। ट्रंप का रूस की तरफ़ झुकाव इसी New World Order की ओर एक कदम माना जा सकता है। अमेरिका और रूस के बीच बेहतर संबंध दुनिया की राजनीति को एक नई दिशा दे सकते हैं।

ट्रंप के रूस झुकाव के पीछे की वजह

1. रूस के साथ व्यापारिक संबंध:

ट्रंप ने हमेशा व्यापार को प्राथमिकता दी है। रूस के साथ बेहतर संबंध अमेरिका के लिए नए व्यापारिक अवसर ला सकते हैं।

2. सुरक्षा और आतंकवाद:

रूस और अमेरिका दोनों ही आतंकवाद से लड़ रहे हैं। दोनों देशों के बीच सहयोग से इस समस्या का समाधान आसान हो सकता है।

3. चीन का बढ़ता प्रभाव:

चीन की बढ़ती ताकत को रोकने के लिए अमेरिका को रूस की जरूरत है। दोनों देश मिलकर चीन के प्रभाव को कम कर सकते हैं।

भारत पर क्या होगा असर?

भारत और अमेरिका के बीच के रिश्ते पिछले कुछ सालों में काफी मजबूत हुए हैं। लेकिन अगर अमेरिका और रूस के बीच संबंध और गहरे होते हैं, तो इसका भारत पर क्या असर पड़ेगा? आइए, इसे समझते हैं।

1. भारत-अमेरिका रिश्ते पर असर

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार, सुरक्षा और तकनीक के क्षेत्र में मजबूत संबंध हैं। लेकिन अगर अमेरिका रूस के साथ ज्यादा करीबी बनाता है, तो भारत को अपनी विदेश नीति में बदलाव करना पड़ सकता है। भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसके हितों को कोई नुकसान न हो।

2. रूस के साथ भारत के रिश्ते

भारत और रूस के बीच के रिश्ते काफी पुराने और मजबूत हैं। रूस भारत को हथियार और तकनीक मुहैया कराता है। अगर अमेरिका और रूस के बीच संबंध बेहतर होते हैं, तो भारत को इसका फायदा मिल सकता है। भारत दोनों देशों के साथ मिलकर काम कर सकता है।

3. चीन के साथ तनाव

चीन और भारत के बीच सीमा विवाद और तनाव बना हुआ है। अगर अमेरिका और रूस मिलकर चीन के खिलाफ काम करते हैं, तो भारत को इसका फायदा मिल सकता है। भारत चीन के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा बना सकता है।

4. आर्थिक असर

अमेरिका और रूस के बीच बेहतर संबंध भारत की अर्थव्यवस्था पर भी असर डाल सकते हैं। अगर दोनों देश मिलकर व्यापार और निवेश को बढ़ावा देते हैं, तो भारत को भी इसका फायदा मिल सकता है। लेकिन अगर अमेरिका रूस के साथ ज्यादा करीबी बनाता है, तो भारत को अपने व्यापारिक रिश्तों में संतुलन बनाना होगा।

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New World Order और भारत की भूमिका

अगर New World Order की बात करें, तो भारत की भूमिका इसमें काफी अहम हो सकती है। भारत एक बड़ी अर्थव्यवस्था और सैन्य ताकत है, जो दुनिया की राजनीति में अपनी जगह बना चुका है। अगर अमेरिका और रूस मिलकर एक नई वैश्विक व्यवस्था बनाते हैं, तो भारत को इसमें अपनी भूमिका निभानी होगी।

भारत को अपनी विदेश नीति में लचीलापन लाना होगा। उसे अमेरिका और रूस दोनों के साथ संतुलन बनाकर चलना होगा। साथ ही, भारत को अपने आर्थिक और सुरक्षा हितों को ध्यान में रखते हुए कदम उठाने होंगे।

ट्रंप का रूस की तरफ़ झुकाव निश्चित रूप से दुनिया की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है। यह New World Order की शुरुआत हो सकती है, जिसमें अमेरिका और रूस मिलकर एक नई वैश्विक व्यवस्था बना सकते हैं। लेकिन इसका असर सिर्फ अमेरिका और रूस तक सीमित नहीं होगा। भारत जैसे देशों को भी इसके लिए तैयार रहना होगा।

भारत को अपनी विदेश नीति में सतर्कता बरतनी होगी और अमेरिका और रूस दोनों के साथ संतुलन बनाकर चलना होगा। साथ ही, भारत को अपने आर्थिक और सुरक्षा हितों को ध्यान में रखते हुए कदम उठाने होंगे। अगर भारत सही रणनीति अपनाता है, तो वह इस नई वैश्विक व्यवस्था में अपनी जगह मजबूत कर सकता है।

तो, क्या ट्रंप का रूस झुकाव New World Order की शुरुआत है? इस सवाल का जवाब तो समय ही देगा। लेकिन इतना तय है कि दुनिया की राजनीति में बड़े बदलाव आने वाले हैं, और भारत को इन बदलावों के लिए तैयार रहना होगा।