Ukrain-Russia War : नाटो के साथ बढ़ते तनाव पर परमाणु खतरे की नई परिभाषा

Ukrain-Russia War –   यूक्रेन –रूस के बीच चल रहे युद्ध में हाल ही में एक नया मोड़ आया है। अमेरिका, ब्रिटेनर फ्रांस ने यूक्रेन को लंबी दूरी के हथियारों का उपयोग करने की अनुमति दी, जिससे तनाव बढ़ गया। इस फैसले का उद्देश्य रूस से यूक्रेन की रक्षा करना था, खासकर जब मास्को ने उत्तरी कोरियाई सैनिकों को कुर्स्क में भेजा। यूक्रेन ने इसके बाद कुर्स्क पर 6 ATACMS मिसाइलें और 6 Storm Shadow क्रूज मिसाइलें दागीं। यह हमले हुए तो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने वैश्विक शांति को चिंतित करते हुए अपनी परमाणु नीति में बदलाव कर दिया।

रूस की परमाणु नीति में परिवर्तन और उसकी प्रतिक्रिया

रूस ने सितंबर 2024 में प्रस्तावित संशोधन में परमाणु हथियारों की सीमा को कम कर दिया। अब रूस पर पारंपरिक (कन्वेंशनल) हमला भी हो सकता है। रूस ने इस नई नीति के बाद “ओरेश्निक” नामक एक हाइपरसोनिक मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया। इस मिसाइल का लक्ष्य था यूक्रेन के ड्नीप्रो में स्थित एक रक्षा उत्पादन संयंत्र। यह पहली बार था कि रूस ने मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल का इस्तेमाल किया था, जो युद्ध को और अधिक खतरनाक बनाया।

विशेषज्ञों का कहना है कि रूस की यह प्रतिक्रिया सिर्फ सैन्य बल का प्रदर्शन नहीं है। यह भी पश्चिमी देशों को यह बताने की कोशिश है

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लंबी दूरी के हथियारों का प्रदर्शन: यूक्रेन का नया कदम

अक्टूबर में यूक्रेन को एंग्लो-फ्रेंच स्टॉर्म शैडो मिसाइलों और अमेरिकी एटीएसीएमएस ( ATACMS) का उपयोग करने की अनुमति मिली। नवंबर में यूक्रेन ने कुर्स्क में एक आधुनिक वायु रक्षा सिस्टम को लक्ष्य किया। रूस के स्मोलेंस्क, कालीना, तुला, ब्रायंस्क, ओरयोल और रोस्तोव-ऑन-डॉन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को यह मिसाइलें 300 किलोमीटर तक की दूरी पर मार डाल सकती हैं।

रूसी अधिकारियों का कहना है कि यूक्रेन इन अत्याधुनिक हथियारों को अकेले संचालित करने में सक्षम नहीं है, इसलिए पश्चिमी देशों ने इन हमलों में सीधा हाथ है। साथ ही, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने 1997 के ओटावा कन्वेंशन का उल्लंघन करते हुए यूक्रेन को एंटी-पर्सनल माइंस की आपूर्ति की।

उत्तर कोरियाई सैनिकों की तैनाती और रूस की सैन्य बढ़त

रूस की युद्धक्षेत्र में स्थिति लगातार मजबूत हो रही है। रूसी सेना की डोनबास, ज़ापोरिज़िया और खेरसॉन में विस्तार ने यूक्रेन की सैन्य रणनीति को चुनौती दी है। यूक्रेन को भी कुर्स्क में बहुत सारी जमीन छोड़नी पड़ी है। रिपोर्टों के अनुसार, रूस ने हजारों सैनिकों की मदद से उत्तरी कोरिया के चालिस प्रतिशत से अधिक क्षेत्र को फिर से अपने कब्जे में ले लिया है।

अमेरिका और यूरोप से हथियारों की सहायता के बावजूद, यूक्रेन को युद्ध में आगे बढ़ने में मुश्किल हो रही है। कुछ विश्लेषकों ने इसे पश्चिम की “प्रतीकात्मक सहायता” बताया है, जो रूस के बढ़ते प्रभाव को रोका नहीं है।

परमाणु युद्ध की ओर बढ़ता संघर्ष

रूस ने अपनी नई परमाणु नीति में कहा है कि पारंपरिक सैन्य हमले में भी परमाणु हथियारों का उपयोग किया जा सकता है। 2020 की नीति से यह अलग है, जिसमें परमाणु हथियारों का उपयोग सिर्फ रूस की अस्तित्व को खतरा होने पर किया गया था।

एक रिपोर्ट के अनुसार, रूस ने 2022 से अब तक 230 से अधिक बार अपनी परमाणु क्षमता का उल्लेख किया है। यह निरंतर परमाणु धमकियों के माध्यम से पश्चिमी देशों पर दबाव डालने का एक उपाय हो सकता है।

ट्रम्प के आगमन से हालात कैसे बदलेंगे ?

डोनाल्ड ट्रम्प की राष्ट्रपति पद पर वापसी से युद्ध का रुख बदलेगा। अपने चुनाव अभियान में ट्रम्प ने यूक्रेन में युद्ध खत्म करने और शांति लाने का वादा किया है। माइकल वॉल्ट्ज, उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, ने दोनों पक्षों से विनम्रता अपील की है और इस युद्ध को “जिम्मेदारीपूर्वक समाप्त” करने की अपील की है।

हालाँकि ट्रम्प की नीतियाँ बाइडन प्रशासन से अलग हो सकती हैं, विश्लेषकों का मानना है कि परिस्थितियां उन्हें भी संघर्ष करने पर मजबूर कर सकती हैं। वर्तमान में, बाइडन प्रशासन यूक्रेन को समर्थन देना जारी रखने की तैयारी कर रहा है, जो भविष्य की अमेरिकी सरकार के लिए एक चुनौती बन सकता है।

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युद्ध का विश्वव्यापी असर

इस युद्ध ने विश्व की अर्थव्यवस्था और राजनीति पर व्यापक प्रभाव डाला है। अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने रक्षा बजट में भारी वृद्धि की है, जबकि यूरोपीय देशों को ऊर्जा संकट का सामना करना पड़ा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह युद्ध अधिक समय तक जारी रहता है, तो यह यूक्रेन और रूस को ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को भी अस्थिर कर सकता है। इस स्थिति में, सभी पक्षों को शांतिपूर्ण समाधान मिलना चाहिए।


यूक्रेन-रूस युद्ध ने ऐसे मोड़ पर पहुंच गया है, जहां से वापस लौटना मुश्किल लगता है। यूक्रेन को अमेरिका और यूरोप की मदद मिलने के बावजूद, उसके सामने लगातार चुनौतियां हैं। वहीं, रूस की सैन्य प्रगति और परमाणु धमकियों ने हालात को और खराब कर दिया है।

ट्रम्प की संभावित नीतियां युद्ध को समाप्त करने का एक मौका दे सकती हैं, लेकिन यह सब वैश्विक नेताओं पर निर्भर करेगा कि वे इस स्थिति को कैसे देखते हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले महीनों में यह युद्ध वैश्विक संतुलन पर क्या असर डालता है।

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